लघुकथा

विध्वंस

सवेरे की चाय हाथों में थी तभी कहीं आसपास के इलाके से एक बड़ी जोरदार भयानक ‘धड़ाम’ की आवाज हुई और पूरा मोहल्ला दहल गया। पक्षी चीं-चीं करते आसमान में उड़ने लगे, आवारा कुत्ते भौंकने लगे। मैं हड़बड़ाया हुआ चप्पल डाल आवाज की दिशा में चल पड़ा। अन्य कई लोग भी उसी दिशा में दौड़े जा रहे थे। कुछ सौ मीटर पहुँचते ही हौलनाक दृश्य दिखा। वही विवादित बिल्डिंग धराशायी थी, जिसके बिल्डर ने सबसे आहिस्ता-आहिस्ता कर पैसे ले लिए थे और कब्जा देने को तैयार ही नहीं था। खबर आई थी लोगों के पैसे हड़प कर बिल्डर नें एक फाइव स्टार होटल खोल लिया था। जब पैसा कहीं और खर्च दिया हो तो वह बिल्डिंग पूरी करके देता कहाँ से? फ्लैट पाने के लिए कईयों ने उसपर मुकदमा कर रखा था। महीनों मुकदमा चला, बिल्डर को जेल हुई तो उसके परिजनों ने कर्मचारियों की मदद से ने जैसे-तैसे परियोजना को पूरा करवाया और मालिकों को फ्लैट सौंप दिया।

विचारों से ध्यान हटा तो नजरें घटनास्थल की ओर गईं। सब तरफ चीख-पुकार मची हुई थी। कुछ कहना मुश्किल था कि किसके साथ क्या हुआ होगा? मेरे एक परिचित भी इसी में रहते थे, पर मैं क्या पूछूँ और किससे पूछूँ? उस अपार्टमेंट के गिर जाने से बगल की एक दुमंजिला इमारत भी ध्वस्त हो चुकी थी। बुरा हो मुये बिल्डर का, जिसने सीमित आमदनी वाले लोगों के पैसे हड़पे और जब फ्लैट देने का दबाव पड़ा तो आनन-फानन में नींव से लेकर ऊपर तल्ले तक सूखी इमारत खड़ी करवा दी। निम्न स्तर की सामग्री लगाई, छड़ में कंजूसी की, निर्माण पर न कभी पानी का छिड़काव कराया और न ढलाई के परिपक्व होने के न्यूनतम मियाद का इंतजार किया।

इमारत की नींव धँसने तथा तरफा झुककर गिर जाने कई बेचारे जीते जी मारे गए। कुछ का अंत यथार्थ में हुआ और कई आर्थिक रूप से कंगाल हो जाएँगे। निर्माण के दौरान मेरे मित्र ने बरती जा रही लापरवाही के विषय में कुछ सवाल किए थे। पर उसके समक्ष ज्ञान बघाड़ा गया था कि आजकल ऐसी सामग्री आने लगी है कि निर्माण को तरियाने की जरूरत ही नहीं पड़ती, यूँ ही सेट हो जाता है। वह दिन था और आज का दिन। इमारत का हश्र देखकर कलेजा मुँह को आ रहा था और उसमें रहने वाले बाशिंदों के लिए मन द्रवित हो रहा था, “हे प्रभु! रक्षा करो।”

सरकारी मदद पहुँचने लगी थी ताकि पीड़ितों को इमारत से निकाला जा सके। मैं भी घर को रवाना हुआ क्योंकि लाचार तमाशाई बनने से सीने में दर्द के गोले उठ रहे थे।

— नीना सिन्हा

नीना सिन्हा

जन्मतिथि : 29 अप्रैल जन्मस्थान : पटना, बिहार शिक्षा- पटना साइंस कॉलेज, पटना विश्वविद्यालय से जंतु विज्ञान में स्नातकोत्तर। साहित्य संबंधित-पिछले दो वर्षों से देश के समाचार पत्रों एवं प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में लघुकथायें अनवरत प्रकाशित, जैसे वीणा, कथाबिंब, सोच-विचार पत्रिका, विश्व गाथा पत्रिका- गुजरात, पुरवाई-यूके , प्रणाम पर्यटन, साहित्यांजलि प्रभा- प्रयागराज, डिप्रेस्ड एक्सप्रेस-मथुरा, सुरभि सलोनी- मुंबई, अरण्य वाणी-पलामू,झारखंड, ,आलोक पर्व, सच की दस्तक, प्रखर गूँज साहित्य नामा, संगिनी- गुजरात, समयानुकूल-उत्तर प्रदेश, शबरी - तमिलनाडु, भाग्य दर्पण- लखीमपुर खीरी, मुस्कान पत्रिका- मुंबई, पंखुरी- उत्तराखंड, नव साहित्य त्रिवेणी- कोलकाता, हिंदी अब्राड, हम हिंदुस्तानी-यूएसए, मधुरिमा, रूपायन, साहित्यिक पुनर्नवा भोपाल, पंजाब केसरी, राजस्थान पत्रिका, डेली हिंदी मिलाप-हैदराबाद, हरिभूमि-रोहतक, दैनिक भास्कर-सतना, दैनिक जनवाणी- मेरठ, साहित्य सांदीपनि- उज्जैन ,इत्यादि। वर्तमान पता: श्री अशोक कुमार, ई-3/101, अक्षरा स्विस कोर्ट 105-106, नबलिया पारा रोड बारिशा, कोलकाता - 700008 पश्चिम बंगाल ई-मेल : [email protected] व्हाट्सएप नंबर : 6290273367