चिंतन जीवन में बहुल्य है
हमारे आस पास ऐसे बहुत से लोग हैं वे हमेशा जिंदगी की भागम भाग में चिंता ग्रस्त रहते हैं लेकिन ऐसे में चिंतन जैसी पुस्तक हताशा से हारे हुए इंसान के अंदर विश्वास पैदा करने का काम करने में सफल हो सकती है । मुझे चिंतन पुस्तक को पढ़ कर ऐसा लगता है मानो जैसे सुबह सुबह पत्तों पर औसत की बूंदें देखकर मन शांत चित्त हो जाता है।हम लोग ज्यादातर समय चिंता में बिता देते है हमें अपने कार्यों का चिंतन कर , उसमें कुछ सुधार लाने की कोशिश जरूर करनी चाहिए।
चिंतन से हमारे अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। कार्य करने की क्षमता का विकास होता है । इससे ये होता है कि हमारे अंदर छुपा हुआ आत्मबल जागता है । इससे आत्म विश्वास पैदा हो कर हमारे जीवन में सफलता का द्वार खोल देता है।
देवेंद्र सिंह सिसौदिया की पुस्तक चिंतन इस बात का प्रत्यक्ष रुप से दर्शन कराती है ।
जीव हर समय मनन और चिंतन के बीच झूलता रहता है
इस पुस्तक की हर कड़ी अपने-आप में एक ज्ञान का खजाना है । जिसमें बहुल्य ज्ञान रुपी हीरे मोती भरे पड़े हैं । जो मनुष्य की जिज्ञासा को शांत करने करने का कार्य करने में सफल होंगे।
“चिंतन एक दर्शन” पुस्तक को आत्मसात करने के लिए पहले हमें चिंतन है क्या ? पहले यह जानना आवश्यक है।
इस पुस्तक में यह बखूबी बताया गया है कि चिंतन एक मानसिक प्रक्रिया है । इसमें तर्क कल्पना, स्मृति,तर्क शक्ति संवेदना आदि इसमें समाहित है ।
चिंतन के माध्यम से ही हम अच्छे निर्णय लेने की क्षमता को प्राप्त करते हैं। हम समाज में रहते हैं जहां कभी अपने लिए कभी बच्चों के लिए निर्णय लेने होते हैं कभी कार्य स्थल पर भी स्वयं के निर्णय महत्वपूर्ण हो जाते जिन्हें चिंतन के द्वारा ही हम निर्णायक स्थिति में पहुंच पाते हैं। हमारे देश में विवेकनंद जैसे महान विचारक हुए हैं।
संकल्प बहुत लोग ले लेते है लेकिन उस पर अमल दृढ़ संकल्प वाले ही कर पाते हैं । भरोसा हम एक दूसरे पर करते हैं लेकिन भरोसा सुपात्र पर ही करें वर्ना मुंहकी खानी पड़ेगी। जीवन में उन्नति के लक्ष्य निर्धारण जरुरी वरना व्यक्ति दिशा हीन हो इधर उधर भटकता रहता है ऐसे व्यक्ति के जीवन में अशांति बनी रहती है । यदि आपका संकल्प दृढ़ है आपको अपने पर भरोसा है । आप कुछ नया करना चाहते है आप आत्मविश्वास से लबरेज है तो जीवन में सफलता हासिल कर सकते हैं। जरुरत है संयम की तभी आप धोखे फरेब से बच सकते हैं।शादी जैसे मामलों में लिव इन रिलेशनशिप के कारण धोखाधड़ी का शिकार हो रहे हैं इससे बचने के लिए विवाह जैसी स्वस्थ्य परंपरा का निर्वहन करना चाहिए । रिश्तों में प्रेम और विश्वास तभी आता है जब व्यक्ति सही दिशा में चिंतन करता है ।
चिंतन हमारे जीवन के लिए आधार है। यह हमारी समस्याओं का समाधान कराता है । चिंतन चाहे स्त्री करें या पुरुष इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है।
*बोधि प्रकाशन जयपुर से प्रकाशित* इस पुस्तक को जरुर पढ़े और आत्मसात करें । लेखक को मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनाएं
समीक्षक — अर्विना गहलोत
पुस्तक – चिंतन एक दर्शन
लेखक – देवेंन्द्र सिंह सिसौदिया
प्रकाशक – बोधि प्रकाशन जयपुर
पृष्ठ संख्या – 116
मुल्य 250