आजमगढ़ और रामपुर में भाजपा की जीत के संदेश
अंततः भाजपा ने समाजवादियों के अजेय दुर्ग आजमगढ़ और रामपुर ढहा देने में सफलता प्राप्त कर ली । आजमगढ़ और रामपुर में भाजपा की जीत को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व और सुशासन पर जनता के अगाध विश्वास के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है। आजमगढ़ लोकसभा में भाजपा की विजय इसलिए ऐतिहासिक मानी जा रही है क्योंकि 2014 और 2019 की मोदी लहर में भी सपा यह सीट निकालने में कामयाब रही थी लेकिन अब 2022 में भाजपा प्रत्याशी दिनेशलाल यादव “निरहुआ” ने सपा उम्मीदवार धर्मेंद्र यादव को 8679 वोटों से हराकर यह सीट जीत ली । उल्लेखनीय है कि ये सीट स्वयं सपा मुखिया अखिलेशयादव के पास थी जिन्होंने विधानसभा चुनाव जीतने के बाद यहां से त्यागपत्र दे दिया था, आजमगढ़ की यह सीट अखिलेशयादव की पारिवारिक सीट और समाजवादियों का गढ़ मानी जाती रही है लेकिन इस बार यह गढ़ ढह गया है । राजनैतिक विश्लेषक इसे 2024 की आहट मान रहे हैं ।
आजमगढ़ और रामपुर में भाजपा की विजय का सबसे बड़ा कारण, कठिन और अनथक परिश्रम ही माना जाना चाहिए । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तथा जिलों के प्रभारी मंत्री यहां का बराबर दौरा करते रहे जबकि सपा मुखिया अखिलेशयादव ने आजमगढ़ से दूरी बना ली और उन्होंने वहां का दौरा तक नहीं किया जबकि रामपुर को उन्होंने आजम खां के हवाले कर दिया था। विश्लेषकों का कहना है कि दोनों ही जगहों पर सपा को हराने में बसपा की महती भूमिका रही है, लेकिन सच्चाई यह भी है कि इस बार आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव जीतने के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में तेज धूप में कड़ी मेहनत की है जिसका परिणाम सकारात्मक आया है।
प्रदेश की जनता ने बता दिया है कि उप्र के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही उपयोगी हैं। प्रदेश की जनता ने माफियाओं व अपराधियों के खिलाफ हो रही कार्यवाही है तथा अवैध संपत्तियों पर चल रहे बुलडोजर का रहा है पुरजोर समर्थन किया है। भारतीय जनता पार्टी की विजय से यह साफ संदेश गया है कि भाजपा हमेशा जनता के बीच रहती है जबकि कुछ लोग केवल चुनाव के दौरान अपने कपड़े बदलकर जनता को बरगलाने के लिए मैदान में आ जाते हैं।
समाजवादियों की हरकतों से आजमगढ़ और रामपुर की जनता उब चुकी थी और परिवर्तन चाह रही थी। आजमगढ़ में जहां बसपा उम्मीदवार गुडडू “जमाली” ने बहुत मजबूती से चुनाव लड़ा और सपा के वोटबैंक में अच्छी सेंधमारी की वहीं रामपुर में बसपा ने अपना उम्मीदवार नहीं उतारा । आजमगढ़ में भाजपा प्रत्याशी दिनेशलाल यादव ”निरहुआ“ एक लोकप्रिय भोजपुरी कलाकार हैं जो शुरूआती दिनों में शादियों में गाया करते थे। इस बात को लेकर विरोधी दलों के नेताओं ने नचनिया कहकर उनका मजाक बनाया जबकि वह बराबर जनता के बीच बने रहे और उसके सुख दुःख में शामिल हुए जिसका उनको सीधा लाभ मिला ।
आजमगढ़ में भाजपा की विजय पीछे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का वह भाषण भी है जिसमें उन्होंने कहा था कि यह आजमगढ़ को आर्यमगढ़ बनाने का अवसर है जिसे हाथ से न जानें दें। भाजपा सरकार में संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना और कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही के नेतृत्व में कुशलता के साथ रणनीति बनाई गई और जमकर चुनाव प्रचार किया गया ,परिणाम प्रदेश व देशके सामने है।
चुनाव परिणमों से साफ है कि जनता अब परिवारवाद, जातिवाद, क्षेत्रवाद के साथ माफिया वाद और मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति से तंग आ चुकी हैं। रामपुर में 90 मुकदमे वाले आज़म खां ने जनता के सामने खूब आंसू बहाये और गिड़गिडा़या लेकिन वह सब कुछ उसके काम नहीं आ सका और परिणाम सामने है।
अब प्रदेश की जनता विकास चाहती है। अराजकता नहीं चाहती। कुछ लोगों का ही तुष्टिकरण नहीं चाहती अपितु सबका साथ सबका विकास चाहती है। अब प्रदेश की जनता हर क्षेत्र में नयापन देखना चाहती है।
उपचुनावों की जीत ने प्रदेशकी जनता ने योगी सरकार के सौ दिन के कामकाज पर मुहर लगा दी है। जबकि वहीं दूसरी ओर समाजवादी पार्टी व अखिलेशयादव की लगातार और आक्रामक मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। आजमगढ़ और रामपुर की जनता ने यह बता दिया है कि उन्हें केंद्र व प्रदेश सरकार की ओर से चलायी जा रही गरीब कल्याणकारी योजनाओं का लाभ बिना भेद भाव के मिल रहा है । वहां की जनता को यह भी लगा लगा कि अगर उनके जिले से सांसद और विधायक भी एक ही दल के होंगे तो डबल इंजन की सरकारों में उनके जिलों का विकास भी दुगनी गति से हो सकेगा।
रामपुर में भाजपा की जीत हैरत में डालने वाली है क्योंकि जहां पर 55 प्रतिशत मुस्लिम आबादी हार -जीत तय करती है वहां पर भाजपा जीत गयी और वह भी भारी अंतर से यह चमत्कार आखिर कैसे हो गया ? रामपुर में भाजपा प्रत्याशी घनश्याम लोधी ने 19वें राउंड से बढ़त बनाई और फिर लगातार आगे निकलते ही चले गये। रामपुर में भाजपा की जीत से तथाकथित सेकुलर जमात और भाजपा विरोधी मीडिया खेमे में सन्नाटा पसर गया। रामपुर में 90 केसों के तहत जेल में रहने के बाद बाहर आये आजम खां की भावुक अपीलों व धमकियों का असर भी काम नहीं आया। जब उन्होंने रामपुर से आसिम राजा को प्रत्याशी बनाया उस समय उन्होंने कहा था कि आसिम बहुत ही मजबूती से चुनाव मैदान में उतर रहे हैं और वह जरूर जीतेंगे । चुनाव प्रचार के दौरान आजम खान अपने खिलाफ हो रही कार्रवाई को उत्पीड़न बताकर मुस्लिम समाज को डरा रहे थे। भावुकता का कार्ड खेल रहे थे। चुनाव प्रचार के दौरान आजम खान ने मुस्लिम तुष्टिकरण की सारी हदें पार करने की पुरजोर कोशिश की। उन्होंने नुपूर शर्मा के बयानों पर राजनीति की और पैगंबर मोहम्मद के अपमान को भी मुद्दा बनाया। आजम ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा कि अगर जनता ने इस बार उनके प्रत्याशी को विजयी नहीं बनाया तो उनकी बातें और काली तथा स्याह हो जायेंगी। आज रामपुर की जनता ने आजम खां तथा उनके वर्गों को संदेश दे दिया है कि अब प्रदेश के जनमानस में तेजी से बदलाव आ रहा है।
चुनाव परिणाम आने से पहले ही समाजवादी पार्टी के लोग प्रशासन और ईवीएम मशीनों पर आरोप लगाने लगे थे। समाजवादी कह रहे थे कि प्रशासन ने उनकी जीत को हार में बदल दिया है, प्रशासन ने जनता को वोट नहीं डालने नहीं दिया जिसके कारण वोट प्रतिशत कम हो गया। रामपुर में तो समाजवादी मतगणना को ही स्थगित करने की मांग कर रहे थे। रामपुर के चुनाव परिणाम से आजम खां का परिवार बुरी तरह से हिल गया है और अब 2024 के लिए भी उनकी राह आसान नहीं रह गयी है।
आजमगढ़ व रामपुर में समावजादी पार्टी की हार का एक कारण सपा मुखिया का अति आत्म विश्वास भी है उन्होंने अनुमान लगाया कि यादव और मुस्लिम वोटबैंक तो सारा का सारा उनका है ही तथा आजमगढ़ और रामपुर का मुसलमान पैगंबर मोहम्मद विवाद और अग्निपथ विरोधी हिंसा के चलते सपा को ही वोट करेगा। अति आत्मविष्वास के कारण ही वह अपने क्षेत्र में नहीं गये जिसका जवाब अब वहां की जनता ने दे दिया है। दोनों ही जगहां पर यह भी कहा जा रहा है कि अब मुस्लिम वोट बैंक सपा के हाथ से छिटक रहा है क्योंकि केंद्र व प्रदेशसरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ अल्पसंख्यक समाज को ही अधिक भी मिल रहा है।
दोनों ही लोकसभा सीटों पर मतदाताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सक्रिय प्रचार किये जाने के कारण राजनीतिक वातावरण स्पष्ट रूप से भाजपा के पक्ष में गया । प्रधानमंत्री का नेतृत्व , नेतृत्व के साथ कार्यकर्ताओं का परिश्रम और जनता का आषीर्वाद डबल इंजन की सरकार को प्राप्त हुआ है। अब प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की टीम निःसंकोच बिना किसी दबाव के अपनी नीतियों को लागू करेगी तथा आगामी निकाय चुनावों को भारी बहुमत के साथ जीतने तथा 2024 के लोकसभा चुनावों में 80 में से 80 सीटें जीतने की ओर कदम बढायेगी। एक बात और दोनों लोकसभा चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का कद और बढ़ गया है जिसका प्रभाव आने वाले दिनां में दिखेगा। यह चुनाव परिणाम परिवारवाद, जातिवाद, और मुस्लिम तुष्टिकरण की विकृत राजनीति पर गहरी चोटकर रहे हैं।
— मृत्युंजय दीक्षित