हास्य व्यंग्य

सिंह

कहा जा रहा है कि सिंहों को खूंखार दिखाया जा रहा है, गोया सम्राट अशोक के जमाने में सिंह बेहद शालीन हुआ करते थे।
कहा जा रहा है कि सम्राट अशोक के स्तम्भ में सिंह अहिंसा के प्रतीक हैं,मतलब सिंहों को हिंसा करना साहेब ने सिखा दिया है।
कहा जा रहा है कि मुस्कुराते हुए सिंहों को गुर्राते हुए सिंहों द्वारा जबरन विस्थापित कर दिया गया है।
कहा जा रहा है कि सम्राट अशोक के सिंह विनम्रता के प्रतिमूर्ति थे और साहेब के सिंहों के मुखमंडल से घमंड चू रहा है।
कहा जा रहा है कि सम्राट अशोक ने अपने सिंहों के जरिए समस्त संसार को प्रेम,अहिंसा और सत्य का पाठ पढ़ाया, वहीं साहेब अपने सिंहों के भरोसे नफरत,हिंसा के साथ साथ लोगों को झूठ बोलना सिखा रहे हैं।
कहा जा रहा है कि अपने सिंहों के भरोसे साहेब स्वयं को सम्राट अशोक के बराबर खड़ा कर रहे हैं, गोया सम्राट अशोक ने सिंहों का पेटेंट करा रखा था।
कहा जा रहा है कि सारी समस्या यह है कि साहेब के सिंहों ने इतना बड़ा मुंह क्यों फैलाया है। थोड़ा कम नहीं करा सकते थे।
कहा जा रहा है कि विपक्षी दलों के सांसद इन विकराल सिंहों को देखकर बहुत डर गए हैं जिससे स्वस्थ लोकतंत्र खतरे में आ गया है।
कहा जा रहा है कि साहेब ने अपने विरोधियों का मनोबलतोड़ने के लिए ही सिंहों की इतनी भयानक मूर्ति बनवाई है।वरना सारे विरोधी तो शालीन सिंहों के साथ मार्निंग वॉक पर जाते हैं।
इन पर तो यही कहा जा सकता है कि –
सिंहों को गुर्राता दिखलाना..
सीधे साधों को यूं तड़पाना..
ऐ साहिब यह ठीक नहीं..