मानते इस राष्ट्र को हम,
अपने प्राणों से भी प्यारा।
राष्ट्र-धर्म से पूरित,
है सारे जग से यह न्यारा।।
दासता की बेड़ियों से,
किया मुक्त शहीदों की शहादत ने।
भोगकर कष्ट राष्ट्रभक्तों ने,
पाया सुख तब हम देशवासियों ने।।
पर… आज अपने ही कुछ लोग।
राज-पाट की अंधी चाह में,
स्वार्थपूर्ति की इच्छा से,
विचारते नहीं कभी देशहित में।।
बलिदानी शहीदों की,
रही अपेक्षा यही हम सबसे।
कि… रहें राष्ट्रीय जन प्यार से,
करें सेवा देश की सभी मन से।।
करते रहें दिल से याद उनको,
जिन्होंने देश-धर्म बचाया है।
और… करते रहें सम्मान सब उनका,
जिन्होंने राष्ट्र-गौरव बढ़ाया है।।
कर्म अगर सद्कर्म हो तो,
जीवन सुखी-संपन्न होता है।
राष्ट्र के प्रति समर्पण हो तो,
देश सुरक्षित अर विकसित होता है।
सदा राष्ट्र-धर्म का पालन हो तो,
देश निश्चित विश्व गुरु बन सकता है।
और… जीवन में सद्क्रियाशीलता हो तो,
इतिहास भी रचा जा सकता है।।
— शम्भु प्रसाद भट्ट ‘स्नेहिल’