गीत/नवगीत

मेरा वतन

नमन हिन्दुस्तान को
है नमन मेरी जान को
तू ही है हर आन मेरी
तू ही है हर शान
धरा का अभिमान है तू
धर्म का पैगाम है तू
नमन हिन्दुस्तान को
है नमन मेरी जान को ।।
राम कृष्ण की ये जमी है
यीशु मौहम्मद की ये नमी है
गुरुग्रंथ का गुणगान तू ही
है दया का ग्यान तू ही
करते नित गुणगान तेरी
तुझमे बसी है सांस मेरी
नमन हिन्दुस्तान को
है नमन मेरी जान को ।।
 मर्यादा का पर्याय है मेरा वतन
रिश्तो का है एक बयान मेरा वतन
सर्वस्व सम्भाव है मेरा वतन
है अद्भुत इस जहां मे मेरा वतन
वीरता का गान है मेरा वतन
न्याय का सारांश है मेरा वतन
नमन हिन्दुस्तान को
है नमन मेरी जान को ।।
हर शख्स का है गर्व ये मेरा वतन
निज प्राण वारे देश पर ,है मेरा वतन
वीरता का गान है मेरा वतन,
 गौरवान्वित सपूतों से भरा है मेरा वतन
कर्मो का पुण्य प्रताप है मेरा वतन
न्याय का सारांश है मेरा वतन
नमन हिन्दुस्तान को
है नमन मेरी जान को ।।
— वन्दना श्रीवास्तव

वन्दना श्रीवास्तव

शिक्षिका व कवयित्री, जौनपुर-उत्तर प्रदेश M- 9161225525