उधेडबुन अच्छी नही, जख्मों को सी लो।
जिन्दगी के छोटे छोटे लम्हों को जी लो।
सपने सच होंगे,मगर शर्त है,
कोशिश करने का तुम में हौसला हो।
एक दिन ये भी दरख्त बन जायेगा,
दिल की जमीं पे गर ख्वाब पला हो।
बेकार न बहे ये, आँसुओं को पी लो।
जिन्दगी के छोटे छोटे लम्हों को जी लो।
भूले कितने खुशगवार लम्हें,
कितने मकामं हम छोड आये है।
जिन्दा थे मगर अहसास के बिना,
क्यूं हम दर्द का कफन ओढ आये है।
उन रुठे हुए पलों की खबर कभी ले।
जिन्दगी के छोटे छोटे लम्हों को जी लो।
हमनशीनो का भी कुछ ख्याल करे,
सिर्फ अपने लिये ही क्यूं जिये हम।
हमने पाई जहाँ से प्यार की सौगात,
हम भी सबको बाँटे प्यार के मौसम।
कभी कभी पराये दर्द का मजा भी लो।
जिन्दगी के छोटे छोटे लम्हों को जी लो।
— ओमप्रकाश बिन्जवे “राजसागर”