कविता

बेटियाँ अनमोल

पिता परेशां, माँ न रोती ।
घर-आंगन गर बेटी होती ।।
गैरों के मोहताज न होते ,
गर अपने भी खेती होती ।
नामुमकिन में मुमकिन लेकिन,
कुछ उपजाऊ रेती होती ।
बेटियां अनमोल, अनुपम ,
जिनसे दो घर ज्योति होती ।
चिड़िया, कोयल और गिलहरी ,
सबके मन की बेटी होती ।
देव सभी, सुख हाजिर रहते,
आँगन गर एक तुलसी होती ।
अमन हमारी ‘संध्या’ ‘सूरज’
पल पल खुशी पिरोति, बोती ।
— मुकेश बोहरा अमन

मुकेश बोहरा 'अमन'

पिता का नाम - स्व. श्री पारसमल बोहरा (जैन) माता का नाम - स्व. श्रीमती शान्ति देवी धर्मपत्नि - श्रीमती शान्ति बोहरा ‘शान्त’ अनुज भ्राता - श्री राहुल बोहरा ‘अमन’ संतान - 1. कार्तिक बोहरा 2. कु. संध्या बोहरा जन्म तिथि - 20.07.1984 शैक्षणिक योग्यता - अधि-स्नातक (हिन्दी), बी.एड. व्यवसाय:- शिक्षण कार्य, राजकीय सेवा में अध्यापक, राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, सांसियों का तला, बाड़मेर राजस्थान भारत प्रकाशित कृतियां - 1. महिला सशक्तिकरण को लेकर कालजयी कृति ‘‘हिम्मत है तो वार करो’’ 2. ओरण-गोचर संरक्षण को लेकर पुस्तक ‘‘ओरण हमारी धरोहर’’ 3. बाल साहित्य में ‘‘भगवान हमारे दादाजी’’ रूचियां:- काव्य लेखन, गद्य लेखन, स्वतंत्र पत्रकारिता, समाज-सेवा, किताबें पढ़ना आदि । स्थायी पता - अमन भवन, महावीर सर्किल, जूना केराडू मार्ग, बाड़मेर राजस्थान भारत 344001 मोबाईल नम्बर:- 8104123345, फेसबुक - कवि मुकेश अमन Email - [email protected]