शरद पूर्णिमा का चंदा
शरद पूर्णिमा
नील गगन पर
मुस्कुराता आया चंदा
दूध धुली सी
लेकर शीतल किरणें।
धरा पर प्रकृति का
नैसर्गिक सौंदर्य भी
जगमगा उठा
पाकर चंदा से
अमृत किरणें।
आया शरद पूर्णिमा का
प्यारा चंदा
सुनकर मनमोहन की
मधुर बाँसुरी फिर
शरद पूर्णिमा सी मनमोहक
सुंदर गोपियों ने
मनमोहन संग महारास रचाया।
ऐ शरद चंदा !
नमन है तुमको
यूँ ही सदा तुम सबके जीवन में
खुशियाँ लेकर आते रहना।
रचना – स्वरचित / मौलिक
रचयिता – आचार्या नीरू शर्मा
शिक्षिका / लेखिका
स्थान – कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश ।