कविता

नई सौगात

नया वर्ष अबके करेगा भारत में
दूर सारा धुंध और अंधकार,
दूर होगी रिश्वत-खोरी , कमजोर
पर सीनाजोरी और अत्याचार ।

गाँव-गाँव शहर-शहर अबके
बदलेगा , मौसम होगा सुहाना ,
प्यार मोहब्बत में पलेगा देश
नहीं चलेगा अब कोई बहाना ।

स्वप्न देखेंगे हम सब मिलकर
होंगी सदा जगमग चाँदनी रात ,
जोश भरकर हमारे मन में
लाया है यह वर्ष नई सौगात ।

सुव्रत दे

सुव्रत दे

संपादक--हिन्दी-ज्योति, सेवा नर्सिंग होम के निकट , साखीपाड़ा, सम्बलपुर--768001 उडीसा। मो. 8457032905