नई सौगात
नया वर्ष अबके करेगा भारत में
दूर सारा धुंध और अंधकार,
दूर होगी रिश्वत-खोरी , कमजोर
पर सीनाजोरी और अत्याचार ।
गाँव-गाँव शहर-शहर अबके
बदलेगा , मौसम होगा सुहाना ,
प्यार मोहब्बत में पलेगा देश
नहीं चलेगा अब कोई बहाना ।
स्वप्न देखेंगे हम सब मिलकर
होंगी सदा जगमग चाँदनी रात ,
जोश भरकर हमारे मन में
लाया है यह वर्ष नई सौगात ।
— सुव्रत दे