युगपुरुष
(पंडित दीन दयाल उपाध्याय के जन्म दिवस पर )
हे राष्ट्रधर्म के अनुयायी
प्रतिमान तुम्हारा अमर रहे
तुम अमर रहो युग पर अंकित
यशगान तुम्हारा अमर रहे
इस भरत भूमि के कण -कण में
तुमने वो अलख जगाई है
एकात्मवाद का सूरज अब
कल्पना नहीं सच्चाई है
हे मूल्यों के अतुलित योद्धा
बलिदान तुम्हारा अमर रहे
प्रारम्भ हो गया अश्वमेध
अब महाप्रयाण शुरू होगा
जो आर्याव्रत था विश्वगुरू
अब फिर से विश्वगुरू होगा
जनजीवन में अनुशासन का
अभियान तुम्हारा अमर रहे
कल्याण हो रहा जन -जन का
चल रहे निरन्तर नये शोध
अब राष्ट्रवाद के पौधे पर
फल -फूल रहा कर्तव्य बोध
हे जन नायक जनमानस में
स्थान तुम्हारा अमर रहे
— सूर्य प्रकाश मिश्र