कवि की कविता
भावों से भरी हुई
सबके सुख- दुःख की साथी
कवि की कविता ।
अनंत सागर की गहराई से लेकर
अदृश्य क्षितिज के कोने-कोने तक समाई
कवि की कविता ।
खेतों में फैली हरियाली
मधुवन में खिले सुमन
तितली के पंखों पर हंसती
कवि की कविता ।
मन के आंगन में सोती
हृदय में रक्त बन प्रवाहित होती
कवि की कविता ।
विश्वास में पली
कर्तव्य पथ के अंगारों पर चली
कवि की कविता ।
कल्पना की कड़ी
हमेशा रहती अदृश्य
भावों का मूर्तिरूप ही तो है
कवि की कविता ।
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा