गुलशन में गुल खिलेंगे, जब तुम आओगे।
बन के साथी संग चलेंगे, जब तुम आओगे।
ये असर होगा एक दिन अपनी दुआओं में,
जमीं से आसमां भी मिलेंगे,जब तुम आओगे।
तुम भी याद रखना,हम भी न भूलेंगे कभी,
पलकों पे ख्वाब पलेंगे जब तुम आओगे।
मुझ से सँभाले गए न,मेरे गम ए हालात,
मेरे दिन रात सँभलेंगे, जब तुम आओगे।
यूँ दूर दूर रह के,न बनेगी बिगडी बात,
कुछ न कुछ हल निकलेंगे,जब तुम आओगे।
— ओमप्रकाश बिन्जवे “राजसागर”