नव प्रण आज करते हैं
सूखते प्रेम के पत्तों में
मिल नव प्राण भरते हैं ।
बीते गम भुला कर हम
नव प्रण आज करते हैं
बीते गम भुला कर हम
नव प्रण आज करते हैं,
नेक भावों को मन में रख,
चलो शुभ काज करते हैं ।
किसी भूखे की रोटी बन,
बने प्यासे का पानी हम,
किसी बूढ़े की लाठी बन,
चमक मुस्कान भरते हैं ।
बीते गम भुला कर हम
नव प्रण आज करते हैं,
फना थी जिंदगी यारा,
कि सुधरा वक्त ज़रा प्यारा,
थी सांसें मौत से जूझी,
आस जीने की थी रूठी,
दुआएँ दिल में सब भरके,
झूठ और बैर तजते हैं ।
बीते गम भुला कर हम
नव प्रण आज करते हैं ।
— भावना अरोड़ा ‘मिलन’