लघुकथा

बेपर्द

“भनक तक होती कि इस इको इक्वेटिक हब में ऐसे दृश्य दिखेंगे तो इधर का रुख कतई न करती”, घूम-घामकर कर पास के रेस्टोरेंट में बैठे दंपति में से पत्नी के उद्गार थे।

“हम इसे आम टूरिस्ट पार्क समझकर ही पहुँचे थे। पार्क निसंदेह है खूबसूरत, पर मेरे हाथ में कैमरा देखकर टिकट काउंटर वाले स्टाफ ने टोका था, ‘अंदर तस्वीरें लेना मना है।’ हमने कहा, ‘ठीक है, नहीं लेंगे।’ पर क्यों कहा था, प्रवेश करने के बाद समझ में आया। ‘कुछ विशेष लोगों के लिए यह आरक्षित जगह है’, उसे बताना चाहिए था। ‘परिवार वालों के लिए निषेध’ जैसा कोई बोर्ड भी नहीं दिखा। संदेह कैसे होता, जब वह हमारे जैसे हर आगंतुक को टिकट दे रहा था।

नए जमाने का प्रचलन बनता जा रहा है, ‘किशोरावस्था से ही रिलेशनशिप में, युवावस्था में दो-चार ब्रेकअप, भविष्य के लिए समानांतर रूप से संघर्षरत, मौज-मस्ती से दिल उकता जाये तो बढ़ती उम्र में शादी।’ उद्दात प्रेम प्रदर्शन तथा यहाँ-वहाँ एकाकार होने की प्रवृत्ति चौपायों में सहज-स्वाभाविक लग सकती है, पर बुद्धिमान इंसानों का खुले में एक दूसरे की गोद में बैठ कर ऐसी अशिष्ट हरकतें करते देखना मानसिक तौर पर बड़ा कष्टप्रद था।

दिनोंदिन परिस्थितियाँ कहीं इतनी विकट न हो जाएँ कि वनचरों के समान, नीले गगन तले दीन दुनिया से बेसुध, एकाकार इंसानी जोड़ों को देखना पड़े हमें। हे प्रभु! रक्षा करना। पर ये उन्मुक्त जोड़े होटल या लाॅज की शरण क्यों नहीं लेते?”

“किशोरों की जेब में होटल रूम के पैसे कहाँ से आएँगे, श्रीमती जी? यहाँ साठ रुपए की दो टिकटें, कुछ चिप्स, चॉकलेट, कोल्ड ड्रिंक, कॉफी खरीदनी है, कुछ पैसे शायद रखवालों पर खर्च हों। तत्पश्चात, ‘न उम्र की सीमा हो, न जन्म का हो बंधन, मौजाँ ही मौजाँ करने के लिए हो एक पूरा दिन।’ इससे अच्छी डेट क्या हो सकती है?” पति ने माहौल में तनाव कम कर हास्य भरने का असफल प्रयास किया।

— नीना सिन्हा

नीना सिन्हा

जन्मतिथि : 29 अप्रैल जन्मस्थान : पटना, बिहार शिक्षा- पटना साइंस कॉलेज, पटना विश्वविद्यालय से जंतु विज्ञान में स्नातकोत्तर। साहित्य संबंधित-पिछले दो वर्षों से देश के समाचार पत्रों एवं प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में लघुकथायें अनवरत प्रकाशित, जैसे वीणा, कथाबिंब, सोच-विचार पत्रिका, विश्व गाथा पत्रिका- गुजरात, पुरवाई-यूके , प्रणाम पर्यटन, साहित्यांजलि प्रभा- प्रयागराज, डिप्रेस्ड एक्सप्रेस-मथुरा, सुरभि सलोनी- मुंबई, अरण्य वाणी-पलामू,झारखंड, ,आलोक पर्व, सच की दस्तक, प्रखर गूँज साहित्य नामा, संगिनी- गुजरात, समयानुकूल-उत्तर प्रदेश, शबरी - तमिलनाडु, भाग्य दर्पण- लखीमपुर खीरी, मुस्कान पत्रिका- मुंबई, पंखुरी- उत्तराखंड, नव साहित्य त्रिवेणी- कोलकाता, हिंदी अब्राड, हम हिंदुस्तानी-यूएसए, मधुरिमा, रूपायन, साहित्यिक पुनर्नवा भोपाल, पंजाब केसरी, राजस्थान पत्रिका, डेली हिंदी मिलाप-हैदराबाद, हरिभूमि-रोहतक, दैनिक भास्कर-सतना, दैनिक जनवाणी- मेरठ, साहित्य सांदीपनि- उज्जैन ,इत्यादि। वर्तमान पता: श्री अशोक कुमार, ई-3/101, अक्षरा स्विस कोर्ट 105-106, नबलिया पारा रोड बारिशा, कोलकाता - 700008 पश्चिम बंगाल ई-मेल : [email protected] व्हाट्सएप नंबर : 6290273367