संकल्प
अपनी पत्नी को कई दिनों के बाद चैन की नींद सोते हुए देखकर, राजू के मन में कई विचार उमड़ते है। उसकी पत्नी सीमा पिछले वर्ष से कैंसर से जूझ रही है। पहले उसके स्तन का ऑपरेशन, फिर कीमोथेरेपी के दर्द और दवाइओं के साइड इफ़ेक्ट से वो हर रोज एक जंग लड़ रही है। अपनी पीड़ा में भी वह मुस्कराने की कोशिश करती है पर वह उसकी मुस्कान के पीछे की दर्द को समझ नहीं पाता है।
राजू का मन आज बैचेन है, उसे नींद नहीं आ रही है । जब पिछले वर्ष से सीमा को छाती का कैंसर का पता चला तब से वह यु बैचैन हो जाता है। सीमा के स्तन का ऑपरेशन हुआ तो वह अपने क्षत विक्षित छाती पर पटियों को देख कर रो पड़ी। फिर कीमोथेरेपी के दौरान उसके लम्बे केश जब गिरने लगे तो अपने सर पर हाथ फेरते हुए उसके आंसू रुकने का नाम ही नहीं लेते । कीमोथेरेपी की दवाइयां से वह कई दिन तक उल्टियां करती रहती और निढाल हो कर पलंग पर एक लाश की तरह लेटी रहती ।
एक दिन वह उससे कराह कर बोली, ‘अब यह दर्द सहा नहीं जाता। इस बिमारी में मैं आपकी सेवा भी नहीं कर सकती। ऊपर से मैं तन से कुरूप हो गई हूँ। आप दूसरी शादी कर लो। ‘ उफ़! यह कहते हुए कितनी पीड़ा और बेबसी थी उसके स्वर में।
उसे याद आया जब अक्सर देर रात वह अपने मित्र मंडली के साथ शराब के नशे में चूर होकर लड़खड़ाते हुए आता तो वह उसे संभालती, जब वह लुढ़ककर पलंग पर गिर पड़ता तो उसके जूते उतार कर उसको लेटा देती, जब वह उल्टियां करता तो उसकी उल्टियां साफ़ करती। पर उसने कभी शिकायत नहीं की। उसने तो कभी उसे सहारा भी नहीं दिया, उसकी उलटी को कभी साफ़ नहीं किया। आखिर किस मिटी की बनी थी वह जो अपनी पीड़ा को भूल, आंसुओं के बीच यु मुस्कराने का प्रयास कर रही है।
वह अक्सर उससे कहता, ‘ मैं हर वक्त नशे में रहता हूँ। तुमको मारता भी हूँ, प्यार भी नहीं करता पर तुम कभी भी कोई शिकायत नहीं करती। तुम मुझसे तलाक़ क्यों नहीं ले लेती?’ और वह हर बार हमेशा की तरह कहती, ‘ मैं आपको कैसे छोड़कर जा सकती हूँ ? आप नहीं समझ सकते की मैं आप को कितना प्यार करती हूँ, पर एक दिन आप मेरे प्यार को समझेंगे जब मैं न रहूँगी।’ और राजू ? वह अपनी अयाशी मैं ही डूबा रहता, उसके प्यार को कभी समझ ही नहीं पाया।
हमेशा ही सीमा ने निस्वार्थ और त्याग भाव से उसके सेवा की है। अपनी पत्नी का यु प्यार पाकर उस जैसे शराबी और अयाश को उसे आज समझ आया की प्यार क्या होता है। आज उसे अपने आप से आत्मा ग्लानि होने लगी। बीते हुए वक़्त को तो वो ला नहीं सकता। अब से अपने जीवन का हर पल, हर क्षण और हर सांस को सीमा के प्यार में समर्पित करेगा। मन ही मन आज राजू यह संकल्प करता है।
— डॉक्टर अश्वनी कुमार मल्होत्रा