ग़ज़ल
दिल्लगी में दिल लगाकर देखिये,
ऐ सनम अपना बनाकर देखिये ।
इक गुलिस्ताँ बन उठेगा ये जहां,
गुल मुहब्बत का खिलाकर देखिये ।
सज उठेंगी ये विरानी महफ़िलें,
इश्क़ का दीपक जलाकर देखिये ।
सुरमयी हर शाम होगी आपकी,
गीत प्यारा गुनगुनाकर देखिये ।
मुश्किलें हम झेल लेंगे फिर सभी,
हाथ तो अपना बढ़ाकर देखिये ।।
— डाॅ. सोनिया