कहानी

तान्या

गोआ में राजीव की एक ही फेवरेट जगह थी, जहां उसे थोड़ा सकून मिलता था। वह जगह थी समुद्र किनारा, जिंदगी की रोजमर्रा की आवोहवा और भागदौर से से ऊब कर वह प्रायः यहां आकर बैठ जाता। समुद्र किनारे रेत पर बैठ कर वह अपना पैर फैला दैता, समुद्र की लहरें आती और उसके पैरों को चूम कर चली जाती, सच में उसे बहुत ही सुखद अनुभूति होती थी। अब तो प्रत्येक दिन सबह सुबह सैर करने भी वह यहीं पर आता था, आकर जब टहलते घूमते थक जाता तो समुद्र किनारे बैठ अंगुली से एक नाम लिखता.. तान्या.. और बुदबुदा उठता… ‘ना जाने क्यों तुम मुझे समझ नहीं पाई तान्या… काश तुम समझ पाती की मैं तुमसे कितना प्यार करता था। तुम्हारे लिए मैं क्या कुछ नहीं कर सकता था, पर तुम्हें शायद मुझ पर भरोसा ही नहीं था। न जाने तुम कहां और किस हाल में होगी, पर दिल कहता है जहां भी होगी खुश होगी।’

लहरें आती और रेत पर लिखे नामों को मिटा जाती, राजीव फिर से बुदबुदा कर लहरों से कहता – ‘ ऐ लहर सुन, तूने रेत पर लिखे नामों को तो मिटा देता है, क्या तुझमें इतनी ताकत नहीं की मेरे दिल में लिखे तान्या के नामों को मिटा सको.. क्या उनकी यादों को नहीं मिटा सकते? अगर नहीं मिटा सकते तो कम से कम कुछ तो ऐसा कर की मुझे एक बार तान्या से मिलवा दे, दस साल हो गए उस बेवकूफ लड़की की खोज खबर नहीं है, कम से पता तो चले की वो जहां है खुश है… ऐ लहर अगली दफा जब वापस आओ तो तान्या की खबरें भी लेती आना..

अगले दिन सुबह के छह बजे… फिर से वहीं कहानी, राजीव समुद्र किनारे बैठा लहरों से बातें कर रहा था.. अचानक एक जर्मन सेफर्ड नस्ल के कुत्ते के भौकने की आवाज सुनाई दी। उसने आवाज की दिशा में देखा, एक सांभ्रांत घर की यंग महिला आखों में ब्लू कलर के शीशे वाला स्टाइलिस चश्मा लगाए एक हाथ से कुत्ते की कड़ी पकड़ कर टहलते हुए राजीव की तरफ आ रही थी। वह महिला थोड़ा नजदीक आई तो उसके पहनावें से लगा की वह किसी अमीर आदमी की पत्नी है। एक तो महंगी सारी, व गले कानों में सोने के जेवर और हाथों में नीलम की अंगूठी… वह दूर से जेवर की चलती फिरती दुकान लग रही थी। राजीव ने देखा कुत्ते के गले में जो फट्टा लगा था वो भी चांदी की थी, और वो सीकर (जंजीर) जो कुत्ते के गले के फट्टे से लग कर उस महिला के हाथों तक गई थी वो सीकर भी चांदी जैसी ही लग रही थी।
राजीव ने कहना चाहा कि – मैडम इस तरह जेवर की चलती फिरती दुकान बन कर मत घुमिए, जमाना खराब है… पर तब तक वो महिला राजीव के समीप आ कर उसकी तरफ देखने लगी। ना जाने क्यों राजीव को उस महिला की चाल ढाल जानी पहचानी सी लगी।
जब वह काफी करीब आई तो राजीव को पहचानते देर ना लगी। वह तान्या ही थी, पर तान्या के इस रंग रूप की तो वह कल्पना भी नहीं की थी। तान्या के मांग में दमक रहा सिंदूर और गले में बेहद कीमती मंगलसूत्र राजीव के लिए किसी अभिशाप से कम ना था पर जो सच्चाई थी उसे उसने क्षण भर में स्वीकार कर लिया और चहकते हुए कहा -” तान्या..?? ये
तुम ही हो ना तान्या… पहचाना मुझे, मैं राजीव, कैसी हो तुम तान्या??? ”

तान्या भी राजीव को अबतक पहचान चुकी थी, इतराते हुए बोली -” क्या मुझे और मेरे पहनावे को देख कर नही लगता की अब ये सवाल पूछना व्यर्थ है कि मैं कैसी हूं..? हां ये सवाल किसी अंधे ने किया हो तो उसके लिए जवाब ये है कि मैं बहुत अच्छी व खुशहाल हूं। तुम बताओ राजीव तुम्हारा वो छोटा सा बिजनेस कुछ बड़ा हुआ या अभी भी छोटा ही है..? ”

राजीव ने ठंढी सांस छोड़ते हुए कहा, ” ठीक ही चल रहा है, बस जीने खाने लायक दाल रोटी लायक कमा ही लेता हूं। ”

तान्या पुनः इतराकर बोली -” गुड.. वैरी गुड राजीव, आज तुम मिले तो अच्छा ही हुआ, तुम्हें इस हाल में देख कम से कम मैं दस साल पहले के अपने फैसले पर खुश तो हूं, आज ही पापा को फोन करके तुम्हारे बारे में बोलूंगी, पापा बहुत तारीफ किया करते थे तुम्हारी की लड़का बहुत महात्वाकांक्षी है, जिंदगी में बहुत आगे जाएगा। काश की तुम दिल्ली में मिले होते तो मैं पापा को तुमसे मिलवा पाती.. खैर कोई बात नहीं। तुम्हें पता है राजीव, मेरे पति एक बहुत ही बड़ी कंपनी में काम करते है, वे विदेश से बिजनेस मैनेजमेंट की पढाई कर के आए थे, भारत में उसे तुरंत ही नौकरी मिल गई, उस कंपनी की शाखाए देश के सभी प्रमुख शहरों में है, और उनकी महीने की सैलरी पता है क्या है… पन्द्रह लाख रूपये, इतने रूपये में मेरी सारी जरूरत की चीजें पूरी हो जाती है, अगर तुमसे शादी करती तो आज मैं भी फटी साड़ी में रहती और तुम्हारे साथ दाल रोटी खा के गुजर कर रही होती,क्यों सही कहा ना मैने??” इतना कर कर तान्या चली गई…
राजीव ने बस इतना ही कहा-” नहीं तुमने कुछ गलत नहीं कहा तान्या, दस साल हो गए, सब कुछ बदला, तुम्हारा रंग रूप, चाल ढाल सब बदला पर तुम्हारा स्वभाव नहीं, आज भी तुम्हारी सोच वैसी की वैसी ही है… ”
तान्या तो चली गई पर, अपने पीछे यादों का खजाना छोड़ गई… राजीव गुजरे जमाने की यादों में खुद को जाने से नहीं रोक सका।
*****************
राजीव और तान्या एक ही कॉलेज में पढते थे।
तान्या एक खूबसूरत, शौख, एवं फेशनेबुल लड़की थी। पिता की इकलौती संतान होने के कारण और संम्पन्न फेमिली से होने के कारण पिता ने उसे हर सुख सुविधा दे रखी थी।
इसके उलट राजीव एक शांत, गंभीर और बेहद ब्रिलिएंट युवक था। पर पता नही क्यों तान्या का मुस्कुराता चेहरा उनकी कमजोरी सी थी। कॉलेज में शुरूआत से लेकर अंत तक वो तान्या को दिल ही दिल में प्यार करने लगा था, पर वो एक साधारण सा युवक था इसलिए कभी तान्या को प्रपोज करने की हिम्मत नही की।
राजीव को कभी सरकारी नौकरी का शौक नही था, वह अपने दम पर कुछ करने का हौसला रखता था।
चार साल कॉलेज में साथ रह कर जब वे जुदा हुए तो राजीव बहुत खुश था क्योंकि उसने पढाई पूरी कर ली थी और अपने सपने पूरे करने के लिए अब वो आजाद था। बिजनेस मैनेजमेंट का कोर्स उनके लिए फायदेमंद रहा! उसने एक बिजनेस की शुरूआत की । उसने पूरी मेहनत और इमानदारी से अपने बिजनेस की शुरूआत की । और उनकी मेहनत रंग लाई, पहले ही महीने से उसका व्यापार प्राफिट में आ गया। कहते है जब पहली ही प्रयास में सफलता मिलती है तो मनुष्य का आत्मविश्वास बढ जाता है और दुगुने जोश और उत्साह से मेहनत करने लगता है।
राजीव के साथ भी ऐसा ही हुआ। व्यापार में पूरा मन लगाने के साथ उसे खुद पर भी यकीन हो चला, और उसी आत्मविश्वास के साथ एक दिन तान्या के घर जा पहुंचा, उसे प्रपोज करने भी और उनके पिता से तान्या का हाथ मांगने भी।
तान्या के पिता से मिल कर राजीव ने कहा-” सर मैं आप की बेटी तान्या से बहुत प्यार करता हूं, कॉलेज के दिनों से ही, पर उस टाईम मैने तान्या से जिक्र नही किया, क्योंकि पहले मैं अपने पैरो पर खरा होना चाहता था, मैने अपनी खुद की मेहनत से एक बिजनेस शुरू किया जो की अच्छा चल रहा है, मैं वादा करता हूं की आपकी बेटी को जीवन भर खुश रखूंगा।”

राजीव की बातें करने का अंदाज और उनके बातों में छुपे आत्मविश्वास को एक पारखी पिता ने भांप लिया था। वे बोले- “बेटे मैं बहुत खुश हूं, तुम जैसे होनहार युवक जीवन में आगे चल कर बहुत उन्नति करोगे। मुझे अपनी बेटी का हाथ तुम्हारे हाथ में देकर बहुत खुशी होगी, पर चुकी अब जमाना थोड़ा बदल गया है तो मैं एक बार अपनी बेटी की पसंद भी पूछना चाहूंगा।”

“जी जरूर, मैं भी यही चाहता हूं”

तान्या  के पिता ने अपनी बेटी को बुलाया और सारी बातें कहते हुए पूछा- “तुम्हें राजीव से शादी करने में कोई आपत्ति तो नही..?”
“एक मिनट डैडी… पहले मैं पूछ तो लू की ये कितना कमाता है..? और मैं बता तो दूं मेरे खर्च कितने है…?

तान्या ने राजीव से पूछा ” कितनी सैलरी है तुम्हारी?”

राजीव – ” नया नया बिजनेस शुरू किया हूं अभी तो ज्यादा नही होती महीने में बीस पच्चीस हजार बच जाते है. पर मुझे खुद पे भरोसा है, अच्छी कमाई होगी.”

तान्या – “आगे क्या होगा पता नही क्योंकि मैं भविष्य में नही वर्तमान में यकीन रखने वाली लड़की हूं!
जितनी तेरी एक महीने की कमाई है,
उतना मेरा एक हफ्ते का खर्चा है, इसलिए मैँ तुमसे शादी नहीं कर सकती..!”

राजीव वहां से बुझे मन से निकल गया पर उन्होनें नोटिस किया की तान्या के पापा अपनी बेटी के इस व्यवहार से बहुत ही शर्मिंदा थे।

फिर भी राजीव मन ही मन
उसी लड़की को चाहता था, क्योंकि वर्षो की चाहत इतनी जल्दी खत्म थोड़े ही होती है। समय बीतता गया राजीव को बस अपनी लाईफ में एक ही काम रह गया था, अपने बिजनेस में पूरा मन लगाना।
समय का पहिया तेजी से घूमा
एक साल
दो साल
तीन…. चार …..पांच…. छह… सात.. आठ.. नौ..

#दस_साल_बाद …… After ten years
आज तान्या मिली भी तो…
खैर.. राजीव को इतनी तसल्ली मिली की तान्या खुशहाल है, सुखी संपन्न है, यही तो जानना चाहता था वो!
एक बार फिर बुदबुदाया राजीव… सदा खुश रहना तान्या!
समुद्र किनारे आई लहरों को भी उसने धन्यवाद दिया मानो लहरों ने उनकी बात सुन कर तान्या को मिलाया हो!

************************************
“ओहो तान्या.. और कितना देर करोगी रेडी होने में.. भई बड़े लोगों की पार्टी है, बहुत बड़े बड़े लोग आएंगे, मुझ जैसे कुछ गिने चुने एम्पलाई को ही ऐसी पार्टियों में बुलाया जाता है, देर मत करो.. ”
” बस हो गया जी, इतनी बड़ी पार्टी है, आपके कंपनी के मालिक वहां होंगे और ना जाने कितने वीवीआईपी होंगे तो थोड़ा ज्यादा सजना संवरना तो बनता है ना, आखिर एम्पलाई आफ द ईयर की पत्नी जो हूं! मुझे फख है आप पर, आपने इतने मेहनत और लगन से काम किया की साल में दो दो बार प्रमोशन हुआ, और अब आप भी पंद्रह लाख महीने वाले एम्पलाई क्लब में शामिल है! मैं सच में बहुत खुश हूं! ”
” बस बस अब खुश बाद में हो लेना, मैं बाहर गाड़ी में इंतजार कर रहा हूं! ”
कुछ देर बाद तान्या अपने पति गौरव के कंपनी के एनुवल पार्टी में थी! बहुत ही भव्य पार्टी का आयोजन किया गया था, तान्या अपनी लाईफ में अब तक ऐसी शानदार पार्टी के बारें में सिर्फ सोच ही सकती थी, जाने की बात तो बहुत दूर..
संयोग की बात उस पार्टी में राजीव भी मौजूद था। राजीव के बदन पर इस वक्त बहुत ही शानदार कोट पेंट और टाई थी, जो उसके पति गौरव से कहीं ज्यादा महंगी लग रही थी! उसे देख कर तान्या अपने पति से पूछी -” क्या उस लड़के राजीव को जो की छोटा सा बिजनेस मैन है उसे भी आप की कंपनी ने बुलाया है इस पार्टी में???”
गौरव ने डांट कर कहा -” तान्या उनका नाम तमीज से लो वो ही हमारी कंपनी के ऑनर है, पर उनका नाम तुम कैसे जानती हो..? ”
तब तक राजीव भी तान्या और गौरव  के पास आ गया!
गौरव की नजर जैसे ही राजीव पर पड़ी उसने फॉरमिलिटी निभाते हुए अपनी पत्नी से कहा- ” तान्या इनसे मिलो, ये है हमारी कंपनी के मालिक और मेरे बॉस मि. राजीव टंडन !
आज जो पार्टी यहां चल रही है जानती हो सर ने ये पार्टी किस खुशी में दी है, एक तो हमारी कंपनी में एक साल का 500 करोड़ का टर्नओवर पूरा हुआ, दूसरा सर एक लड़की को बहुत चाहते है, उस से शादी तो नही हो पाई लेकिन कुछ दिन पहले गोवा बीच पर उस लड़की से सर की मुलाकात हुई वह अपने पति के साथ बहुत खुश है, ये जान कर सर भी बहुत खुश है इस लिए भी पार्टी दी गयी है!”

तान्या को चक्कर सा आने लगा, लौटते वक्त तान्या ने पति से पूछा- “तुम्हारे सर की पत्नी नही थी पार्टी में?”

गौरव  ने कहा- “सर ने अभी तक शादी नही की!” तान्या खुद को पुनः बेहोश होने से नही रोक सकी।
(समाप्त)

डिसक्लेमर
समय बदलते देर नही लगती दोस्तों, किसी के वर्तमान परिस्थिती का मजाक नही बनाना चाहिए, वरना वह खुद मजाक बन कर रह जाता है।

ओम प्रकाश 'आनंद'

मेरा पूरा नाम ओम प्रकाश राय है। मैं मूल रूप से बिहार के मधेपुरा जिले (गांव - गोठ बरदाहा) का रहने वाला हूं। मेरी जन्म तिथि 6 मार्च 1985 है। मैने ग्रेजुएशन (Zoology Hons. ) तक की पढाई की है जो साल 2008 में पूरी हुई। हिंदी साहित्य पढने और लिखने में रूचि शुरू से ही है। मैं अपने प्राइवेट नौकरी के दौरान मिले खाली समय का उपयोग लिखने व पढने में करता हूं। मेरी लिखी रचना पर आपके सुझाव, शिकायत और अन्य प्रतिक्रिया का स्वागत है। मेरी अन्य रचनाएं आप प्रतिलिपि पर भी पढ सकते है।