उठे इस देश का जवान
हमारा लक्ष्य हो अब यह, उठे इस देश का जवान
स्वयं ही उठकर बनाये, दुनिया में अपनी पहचान
वृक्ष के समान ही, निश्छल भाव रख डटे रहे सदा
बने सबका वह मरहम, लगन पूर्ण मन में यह ठान
जोश भरें ओज भरें, सभी युवाओं को तैयार करें
सजाना है सभी जन को, अब वसुंधरा का उद्यान
जो खंडहर हुए जा रही है धरा, उसे भी बचाना है
देश के लिए तत्पर रहा,अनाज उगाता हर किसान
जो कभी भी झुके नहीं, मंजिल से पहले रुके नहीं
भुला ना सकेगा देश, उन देशभक्तों का बलिदान
अग्निपथ पर भी चल पड़े हैं, देश के कई वीर यहां
अपने देश को बनाने, अब सारे जग का गुलिस्तान
भेदभाव ना रखें कभी भी, छोटे बड़ों का हम यहां
सभी को मौका मिलता है, इस देश में एक समान
सुनो आप इसको भी, ‘शिवा’ कहता है यह बात
सारे जहाँ से न्यारा है, ये हमारा प्यारा हिन्दुस्तान
हमारा लक्ष्य हो अब यह, उठे इस देश का जवान
स्वयं ही उठकर बनाये, दुनिया में अपनी पहचान।
— अभिषेक श्रीवास्तव “शिवाजी”