राधा की बेटी
” माँ, ओ माँ, कहा हो ? ” अपनी बेटी, नंदिनी की आवाज़ सुनकर राधा चौक जाती है।
” मैं यहाँ हूँ, बेटा रसोई में, ” राधा ने कड़ाही में से एक पकोड़ा निकालकर चखकर देखते हुए कहा।
नंदिनी ने आकर माँ के गले में बहे डाल कर प्यार से कहा, ” जानती हो माँ आज स्कूल में मैडम ने क्या कहा ? ”
” भला मुझे कैसे पता चलेगा जब तक तू बताएगी नहीं, ” राधा ने प्यार से अपनी 11 वर्षीय बेटी को देखते हुए कहती है।
“माँ, आज मैडम ने बताया की मुझे देश में चल रहे स्कूल एक्सचेंज प्रोग्राम में चुने गए अन्य 5 छात्रों में चुन लिया गया है। दो महीने बाद हम बच्चे इस प्रोग्राम के तहत इंग्लैंड जाएंगे और वहां के स्कूल के छात्रों से मिलेंगे.” नंदिनी अपनी लय में कहती जाती है।
“यह स्कूल एक्सचेंज प्रोग्राम क्या होता है? तुम इतनी दूर कैसे जाऊंगी ? इसमें तो बहुत पैसे लगेंगे, मैं कहा से लाऊंगी ? ” राधा को चिंतित होकर देख नंदिनी ने चहकार कहा, ” माँ सारा खर्चा सरकार करेगी, ” और उसे विस्तार से समझाने लगी की सरकार की तरफ से छात्राओं के इस प्रोग्राम से अलग अलग देशो के छात्र दुसरे देशो में जाकर वहाँ की संस्कृति, रहन सहन और पढ़ाई के विषय में जानेगे।”
राधा नंदिनी की और देखती है। कितनी उत्साहित है वह! तभी उसे ध्यान आया की उसने पकोड़े तलने के लिए रखे है। कही जल न जाये, इस विचार के आते ही वह कहती है, ” जा बेटा कपडे बदल ले, फिर खाना खाकर आराम से मुझे सब बताना। ”
राधा ने खाना लगाया, दोनों माँ बेटी खाना खाने लगे। राधा खाना खाते हुए अपने विचारो में खो जाती है। आज अगर नंदिनी के पिता होते तो गर्व से कहते, ” यह मेरी बेटी नहीं, बेटा है। देखना राधा एक दिन यह हमारा नाम रोशन करेगी। मैं उसे खूब पढ़ाऊंगा।” राधा के गाल पर आंसू बहने लगे। वह अपनी साड़ी के पल्लू से आंसू पोंछती है।
” उफ़ माँ, पिताजी की याद आ रही है, ना रो माँ, माँ मैं पिताजी का सपना पूरा करुँगी, ” नंदिनी माँ से लिपट जाती है।
राधा को याद आया जब नंदिनी का जन्म हुआ तो किस प्रकार उसके पिता राधेशाम उसे गोद में लेकर उसको प्यार करते। जब काम से घर आते तो सबसे पहले कहते, ” नंदिनी कहा है ? ” और अपनी सारी थकावट भूलकर उसके साथ खेलने बैठ जाते।
आज से 12 वर्ष पूर्व बिहार के समस्तीपुर ज़िले के पास एक गांव से वह इस महानगर में जब शादी कर के आई थी तो राधा इस विशाल महानगर और यहाँ के लोगो के रहन सहन से चकित रह गई थी। राधेशाम को एक कपडे की मिल में काम मिल गया जिसके परिसर में उन्हें रहने के लिए एक कमरा मिल गया।
एक साल बाद नंदिनी का जब जन्म हुआ तो राधेशाम कितना खुश था। अपने सब साथियों को मिठाई बांटी। उसके साथी जब कहते की बेटी के जन्म पर तू इतनी मिठाई बाँट रहा है तो अगर बेटा होता तो ?
वह हंसकर कहता, ” यह मेरी बेटी नहीं बेटा है। मैं इसे एक बेटे की तरह ही पालूंगा। ”
राधा और राधेशाम ने नंदिनी के लालन पालन में कभी कोई भेद भाव नहीं किया।
समय का चक्र चलता रहा। नंदिनी 5 साल की हो गई। राधेशाम सुपरवाइजर बन गया।
और फिर वह काली रात!
एक दुर्घटना में राधेशाम की मौत हो गई।
उसका तो संसार ही टूट गया। कहते हैं समय हर घाव को भर देता है। उसने हिम्मत ना हारी। मिल की तरफ से उसे अपने पति की जगह काम पर रख लिया गया।
राधेशाम की तस्वीर के सामने खड़ी हो कर वह कहती है, ” देखा आपने, नंदिनी 11 साल की हो गई है। उसका चयन स्कूल एक्सचेंज प्रोग्राम में हो गया है। आपने जो सपना देखा वह मैं पूरा करुँगी। ”
शाम हो गई थी। टीवी पर प्रवक्ता कह रहा है, ” आज 24 जनवरी है, राष्ट्रीय बालिका दिवस है। बेटियां आज हर क्षेत्र में नई ऊंचाइयां छु रही है। सरकार ने उनकी भलाई के लिए वचनबंध है, कई कार्यक्रम चलाये है। हमें अपनी बेटियों पर गर्व है। उनको बचाना है और खूब पढ़ाना है। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने एक समारोह में कहा. ”
— डॉक्टर अश्वनी कुमार मल्होत्रा