सामाजिक

“द पावर ऑफ़ ए वुमन: लाइक ए टी बैग”

कतरा कतरा घुल रही हूँ
दर्रा दर्रा पिघल रही हूँ
पुर्ज़ा होते जिस्म से मैं..
ज़र्रा जर्रा निकल रही हूँ

क्या आपने कभी यह कहावत सुनी है, “एक महिला चाय की थैली की तरह होती है,” जब तक वह गर्म पानी में न हो, आप कभी नहीं जान सकते कि वह कितनी मजबूत है!
इस सादृश्य का प्रयोग अक्सर महिलाओं के लचीलेपन और ताकत का वर्णन करने के लिए किया जाता है, और यह महिलाओं की क्षमताओं का एक शक्तिशाली अनुस्मारक है।
एक टी बैग की तरह, एक महिला बाहर से भले ही छोटी और नाजुक दिखाई दे, लेकिन एक बार जब उसकी परीक्षा हो जाती है, तो उसकी असली ताकत और दृढ़ संकल्प सामने आ जाता है। जब एक टी बैग को गर्म पानी में रखा जाता है, तो वह अपना पूरा स्वाद और सुगंध छोड़ देता है। इसी तरह, जब एक महिला को चुनौतियों और बाधाओं का सामना करना पड़ता है, तो वह इस अवसर पर उठती है और अपनी वास्तविक शक्ति से परिचित होती है।

©-शिप्रा खरे

शिप्रा खरे

नाम:- शिप्रा खरे शुक्ला पिता :- स्वर्गीय कपिल देव खरे माता :- श्रीमती लक्ष्मी खरे शिक्षा :- एम.एस.सी,एम.ए, बी.एड, एम.बी.ए लेखन विधाएं:- कहानी /कविता/ गजल/ आलेख/ बाल साहित्य साहित्यिक उपलब्धियाँ :- साहित्यिक समीर दस्तक सहित अन्य पत्रिकाओं में रचनायें प्रकाशित, 10 साझा काव्य संग्रह(hindi aur english dono mein ) #छोटा सा भावुक मेरा मन कुछ ना कुछ उकेरा ही करता है पन्नों पर आप मुझे मेरे ब्लाग पर भी पढ़ सकते हैं shipradkhare.blogspot.com ई-मेल - [email protected]