एक जानकारी के मुताबिक 50 हजार साल के बाद एक बार फिर हरा धूमकेतु धरती के पास से गुजरने वाला है.|50 हजार साल पहले एक हरा धूमकेतु यानी ग्रीन कमेंट धरती के नजदीक से गुजरा था,|अ ब यह फिर से लौट रहा है| यह धूमकेतु 1 फरवरी को धरती के काफी करीब आएगा| यह एक बड़ी और दिलचस्प खगोलीय घटनाओं की घटना होगी.|यह धूमकेतु अभी जिस तरह चमक रहा है, उसी तरह चमकता रहा तो इसे बिना टेलीस्कोप के भी देखा जा सकता है.दूसरे ग्रहों की तरह धूमकेतु सूर्य के चारों ओर परिक्रमा कर रहे हैं.|सौरमंडल में लाखों धूमकेतु हैं| ये अपनी खास चमकदार चमकीली पूंछ नुमा संरचना के लिए जाने जाते हैं. यही वजह है कि इन्हें पुच्छल तारा भी कहते हैं.| हरे धूमकेतु उल्का पिंड के मुकाबले ज्यादा तेज गति के साथ चक्कर लगाते हैं| एक जानकारी के मुताबिक पिछले वर्षो में वैज्ञानिकों ने गणना की थी कि नियो वॉइस धूमकेतु आकाश के उत्तर पश्चिम भाग में चमकता दिखाई दिया था ।ये दोबारा छह हजार साल बाद दिखाई देगा।सूर्य के हमेशा विपरीत दिशा में रहने वाले और चारों तरफ घूमने वाले पिंड जिसमे बर्फ, गैस, धूल आदि भरी होती है।पुच्छल तारा कहते है।पुच्छल तारे का स्वरूप पूछ जैसा दिखाई देने पर इसे पुच्छल तारा कहा जाता है।इसे टेलिस्कोप की मदद से ज्यादा दूरी होने पर स्पष्ट देखा जा सकता है।कई पुच्छल तारे पृथ्वी से नजदीक होने पर सुबह सुबह इसको खुली आँखों से स्पष्ट देखे जा सकते है। वैज्ञानिकों ने वर्तमान में आकाश में दिखाई दे रहे पुच्छल तारे के बारे मे कहा है कि वर्षो के अंतराल के बाद पुच्छल तारे के दर्शन होते है।खगोलीय क्षेत्र में रुचि रखने वालों को इसके अध्ययन से अंतरिक्ष की महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में शोध में मदद मिलती है।अंतरिक्ष का दूसरा पक्ष देखें तो पाएंगे कि हर साल सोशल मीडिया पर खबर आती है कि अंतरिक्ष से धरती पर उल्का पिंड गिरने की संभावना है.।उल्का पिंड धरती से नहीं टकराता बल्कि एक भय का वातावरण लोगों के मन में भर जाता। विशेषज्ञों का आकलन पृथ्वी के नजदीक से गुजरने का रहता है। और उसका परिभ्रमण दोबारा कई वर्षो बाद फिर से संभव होता है पृथ्वी से टकराने की स्थिति निर्मित नहीं होगी।क्योंकि अंतरिक्ष में करोड़ो उल्का पिंड तैरते रहते है। जिनकी पृथ्वी से दूरी लाखों करोड़ों मील है। सभी ग्रहों का अपना गुरुत्वाकर्षण है।ऐसे छोटे-छोटे उल्का पिंड पृथ्वी के करीब यानि लाखों किलोमीटर और अत्यंत तेज रफ़्तार से गुजरते रहते है। कुछ पृथ्वी की कक्षा में आने के पूर्व नष्ट हो जाते है। भविष्य में संभावित खतरों से पृथ्वी वासियों की रक्षा के लिए नासा वैज्ञानिक,खगोल शास्त्री,अंतरिक्ष की नजरें अंतरिक्ष पर टिकी हुई रहती है।पृथ्वी से टकराने का ऐसी अफवाओं पर अंकुश लगाना आवश्यक है क्योंकि अंतरिक्ष में करोड़ो उल्का पिंड तैरते रहते है। जिनकी पृथ्वी से दूरी लाखों करोड़ों मील है। सभी ग्रहों का अपना गुरुत्वाकर्षण है।ऐसे छोटे-छोटे उल्का पिंड पृथ्वी के करीब यानि लाखों किलोमीटर और अत्यंत तेज रफ़्तार से गुजरते रहते है। कुछ पृथ्वी की कक्षा में आने के पूर्व नष्ट हो जाते है। भविष्य में संभावित खतरों से पृथ्वी वासियों की रक्षा के लिए नासा वैज्ञानिक,खगोल शास्त्री,आदि की अंतरिक्ष पर नजरें है।खबरों की अफवाहों को फैलने से रोका जाए।हरे धूमकेतु के दर्शन अवश्य करें क्योकि इसका फिर से दिखाई देने में वर्षों का समय लगेगा | .
— संजय वर्मा ‘दॄष्टि’