कविता
मुझे तो उससे
बेइन्तहा प्यार था,
उसकी हर बात में
हमें एतबार था।
हर पल उसके बारे में
सोचती थी।
आंखे हर वक्त उसी को
खोजती थी।
उसके फोन का हर वक्त
इन्तजार था।
उसके एक मैसेज में
जी निसार था।
हर समय फोन सीने से
लगा रखती थी।
दिल धड़क जाता जब
घण्टी बजती थी।
वक्त निकाल वह
हमें याद करेगा।
भूले हमको ऐसा
न कभी करेगा।
मेरा दिल उसकी
हर अदा में निसार था।
मिलने के लिए कब से
बेकरार था।
मांग बैठा दिल वक्त
हमें भी चाहिए।
दिन भर में दो पल
हमारे संग बिताइए।
दिल को ठोकर लगी
उसने यह बात कही।
अभी वक्त नहीं, न होगी
मुलाकात कहीं।
नादान दिल सिसक
के रोता रहा।
क्यों अजनबी के
सपने संजोता रहा।
माना प्यार में इन्तजार है,
एतबार है।
पल भर का वक्त न हो
क्या वह प्यार है?
— शहनाज़ बानो