दुःख लिखूँ या दर्द
दुःख लिखूँ या दर्द लिखूँ मैं
डूबती कश्ती की पतवार लिखूँ मैं
सहमी मायूसी का स्वर या
वेदना की गूंज लिखूँ मैं
दुःख लिखूँ या दर्द लिखूँ मैं
सुनती सिसकी रात लिखूँ मैं
असंभावना में जकड़े सपनों का
काल्पनिक भाव लिखूँ मैं
दुःख लिखूँ या दर्द लिखूँ मैं
मरती उम्मीदों का सार लिखूँ मैं
दगाबाजों की महफ़िल में
मेरी वफ़ा का जाम लिखूँ मैं
कांटा या फूल लिखूँ मैं
बेदर्द की तस्वीर लिखूँ मैं
झूठी सब बातों का महल बना
खंडहर में तब्दील करूँ मैं
— सौम्या अग्रवाल