होली आई
मधुमय, मधुऋतु आई
फाग की रंगीली बहार आई
हर चेहरे पर नव मुस्कान छाई
सुखदायी ऋतु आई रे ! आई
होली आई ।
जनमानस में नूतन उमंग छाई
सतरंगी लिवास वाली ऋतु आई
मलय समीर चली सुखदायी
बागों में कोयल ने टेर लगायी
होली आई ।
सब नर -नारी मिल प्रीत बड़ाई
व्यथित हृदय में प्रीतम याद सताई
बृजगोरी आंसू झड़ी लगाई
स्नेह मिलन की मधुमय ऋतु आई
होली आई ।
भॅंवरों ने फूलों को धुन मधुर सुनाई
वन उपवन में कलियां खिलने को आई
मौसम में चहुंओर मादकता है छाई
जन-जन ने रंग गुलाल खूब उड़ाई
होली आई ।
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा