सामाजिक

बिन माँ सब सूना

उम्र के साथ-साथ जब जीवन में आपके बदलाव आता है तो आप एक उम्र में कदम रखते हैं फिर उस उम्र में एक ऐसे हाथ की जरूरत होती है जो आपको हर कदम पर आपको संभाल सके। यदि किसी वजह से वह हाथ आपसे छूट जाए तो आपको खुद ही तय करना होगा कि जिंदगी को किस दिशा में ले जाना है और ऐसे में बढ़ती उम्र में मांँ का साथ छूट जाने से जिंदगी अस्त व्यस्त हो जाती है और आपके अंदर एक खालीपन और एक तनाव जन्म लेने लगता है तब उस स्थिति से उबारने के लिए सबसे करीबी आपकी मांँ होती है और उनकी दी हुई सीख ही आपके लिए रामबाण होती है। कई बार उम्र के इस पड़ाव पर आते आते बच्चे अच्छे बुरे का ज्ञान नहीं ले पाते हैं और कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जो सामाजिक तौर पर गलत होती है। बहुत ही कम उम्र में जिनकी मांँ का साथ छूट जाता है तो ऐसा लगता है जैसे दुनियाँ की हर चीज बेकार है
फिर जिंदगी को अपने हिसाब से चलाना बहुत कष्टकारी हो जाता है और समझ में नहीं आता है कि आगे की जिंदगी कैसे कटेगी। घर में पुरुष वर्ग तो होते हैं जैसे पापा और भाई लेकिन उनसे हर बात कहना मुमकिन नहीं होता है तो अपनी बात कहने के लिए हम ऐसे इंसान की तलाश करते हैं जो हमें समझे जिनके साथ समय काटना अच्छा लगता है और घर में समय बिताना अच्छा नहीं लगता दोस्तों के साथ घूमना फिरना उनके साथ पार्टी इत्यादि में जाना इसकी परवाह किए बिना कि हम गुमराह हो रहे हैं उसके बाद भी हमें अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए अपने दर्द को बांँटने के लिए दोस्तों की आवश्यकता होती है फिर किसी प्रकार की कोई भी जिम्मेंदारी का एहसास नहीं रह जाता है। छोटी उम्र में परिस्थितियों को काबू करना मुश्किल होता है पढ़ाई से ध्यान हटने लगता है। इसी प्रकार कई वर्ष बीत जाते हैं और आजाद अनुभव के दौर से गुजरते हुए जब ठोकर लगती है और सभी दोस्तों का साथ छूटता है तो वही पापा और भाई साथ खड़े हो जाते हैं आपके लिए, परिवार का हर सदस्य फिर उन्हें अपना लगने लगता है और जिस अपनेपन और प्यार को वह बाहर ढूंढ़ते हैं दरअसल वह तो घर में ही मौजूद होते हैं, इसलिए अपने परिवार से हर बात को सांँझा करना और अपने जिम्मेदारियों का एहसास केवल एक घर में ही होता है अपनी जिंदगी की गाड़ी को पटरी पर लाने का यह एक अच्छा प्रयास होता है कि हम अब ज्यादा से ज्यादा समय अपने परिवार के साथ व्यतीत करें। अक्सर जब मांँ का साथ छूटता है तो लड़कियों के जीवन में संघर्ष आने लगते है और उम्र के बढ़ते बढ़ते गलत प्रवृत्तियों में लिप्त हो जाना एक गंभीर समस्या बन जाती है और उस स्थिति में आपको समझ में नहीं आता है कि क्या गलत है? क्या सही है? गलत संगति से बचने का प्रयास करना चाहिए मांँ के ना होने पर आप कोशिश करते रहे आपको कोई ऐसा मिल जाए जो आपकी बात सुने और उसे समझे। इन सब के बीच एक अच्छे दोस्त का चुनाव करना जरूरी होता है वर्ना दोस्त कब गलत राह पर ले जाएं यह आप समझ नहीं समझ पाते हैं। कच्ची उम्र में आते ही सही गलत में अंतर करना मुश्किल हो जाता है, यदि आप अपनी कोई निजी बातें अपने दोस्तों से शेयर कर रहे हैं तो इसका जरूर ध्यान रखें कि वह विश्वसनीय हो वरना आपके साथ कोई भी छल करके आपकी जिंदगी को नर्क बना सकता है। कोशिश करना चाहिए कि हर बात घर में किसी न किसी से जरूर कहें! चाहे वह पापा हो या भाई-बहन कोई भी बात अपने घर वालों से ना छुपाए। यदि आपको घरवालों से ज्यादा किसी दोस्त में विश्वास है तो बहुत सोच समझकर दोस्तों को अपनी बातें कहनी चाहिए ताकि आगे का जीवन आपके लिए कष्टकारी ना हो। जीवन में याद रखें यदि आपके साथ कोई खड़ा नहीं होता है और आप अपने जीवन की हर खुशीं से महरूम होते हैं तो आपका साथ यदि कोई दे या ना दे पर आपका परिवार आपके साथ सदा खड़ा होता है। एक छोटी उम्र में गलत आदतें या परिस्थितियों से बचने के लिए इन बातों को ध्यान में रखकर आप पहले से सतर्क रह सकते हैं और आप काफी हद तक सही और गलत के बीच का फर्क कर पाएंगे। आप अपनी बहन या भाई को भी अपना राजदार बना सकते हैं। आपके भाई बहन भी आपको इतना प्रेम देंगे जिससे आप अपनी मांँ की कमी महसूस नहीं कर पाएंगे। एक मांँ की तरह एक बहन या भाई ही दुलार सकता है बाकी दुनियाँ में जितने भी लोग रहते हैं वह केवल आपसे स्वार्थ सिद्धि के लिए ही जुड़े रहते हैं। जैसे कोई धनाढ्य परिवार से आप हो तो लोग आप से लोग रिश्ता रखना चाहते हैं उसके बाद आपकी दौलत को देखकर और आपके जीवन को देखकर आप का फायदा उठाने वाले लोग इस जमाने में अधिक मिलेंगे। ध्यान रखिए कि आपका अहित भी ना हो और सारे रिश्तें प्रेम से निभ जाए फिर जीवन सफल हो जाता है बस सही चुनाव होना चाहिए, वर्ना आप स्वयं को इतना सक्षम बनायें कि किसी के सामने आपको कभी झुकना ही ना पड़े! खुद को मजबूत बनाना और साथ में अपने परिवार की जिम्मेदारीं को भी संभालना यह एक इंसान का गुण होना चाहिए ताकि समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों में आपका नाम लिया जा सके आप को गलत समझने की चेष्ठा कोई ना कर पाए ऐसा अपना किरदार बनाएं।
— पूजा गुप्ता

पूजा गुप्ता

कार्य :हाउस वाइफ जन्म स्थल:-जबलपुर मध्य प्रदेश माता :-रुक्मणी देवी गुप्ता पिता:-स्वo संत लाल गुप्ता शिक्षा:-बी०ए ग्रेजुएट (आर्ट्स) पता:-मिर्जापुर उत्तर प्रदेश कार्य क्षेत्र:-कवियित्री एवं लेखिका कृतियाँ:-मेरे मन के भाव (मन:स्थली) पहली और दूसरी काव्य रचना और विभिन्न राज्यों के पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित रचना तथा अन्य राज्यों के अखबारो मे कई काव्य साँझा संकलन मे सम्मिलित सम्मान और रचना। सम्मान:- 1-राजश्री साहित्य अकादमी मंच द्वारा सम्मानित। 2-काव्य मंजरी सहभागिता पत्र। 3- काव्य फाउंडेशन मंच द्वारा सम्मान पत्र प्राप्त। 4-काव्य कुमुद मंच द्वारा सम्मान पत्र प्राप्त। 5-गोपाल दास नीरज अखिल भारतीय साहित्य संस्थान मंच द्वारा सम्मान पत्र प्राप्त। 6-पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह द्वारा ऑनलाइन प्रतियोगिता में सम्मान पत्र प्राप्त। 7-शब्द ग्राम मंच द्वारा सम्मान पत्र प्राप्त। 8-काव्य मंच-मेघदूत द्वारा प्रशस्ति पत्र प्राप्त। 9-नवल रश्मि-एक भोर नयी मंच द्वारा प्रशस्ति पत्र प्राप्त। 10-विभूति काव्य मंच द्वारा सम्मान पत्र प्राप्त । 11-साहित्य संगम संस्थान की सभी इकाइयों मे सम्मान पत्र प्राप्त। 12- अंतर्राष्ट्रीय सखी साहित्य परिवार की ओर से सावन ब्यूटी अवार्ड विजेता 13- ज्ञानोत्कर्ष अकादमी द्वारा बेस्ट टीचर का सम्मान पत्र प्राप्त 14-वनिता पत्रिका मंच द्वारा विजेता घोषित फोन नंबर - 7007224126