लघुकथा – फिलहाल
सविता- ‘अजी ! सुनो न…! श्रद्धा नेअपनी लड़की श्वेता के लिए ईयररिंग्स खरीदी है। बड़ी खूबसूरत है जी। कल पहनी थी। बहुत अच्छी लग रही थी। हम अपनी मंजरी के लिए भी ले देते क्या ?’
सत्येंद्र- ‘अच्छा, ठीक है न। हम लोग ईयररिंग्स न लेके अपनी मंजू के लिए नेकलेस खरीद लेते हैं।’
मंजरी- ‘नहीं मम्मी…! पापा, रहने दीजिए। मुझे कुछ नहीं चाहिए। मेरे कोचिंग के लिए बहुत पैसा लगेगा। फिलहाल कल मुझे पंद्रह हजार रुपए जमा करना है।’
— टीकेश्वर सिन्हा ‘गब्दीवाला’