कविता कैंसर धनंजय वितानगे श्री लंका 20/04/2023 थोडा-थोडा करके मेरा शरीर काँप रहा है नर्सें आ रहीं हैं सुइयाँ ले रही हैं और कुछ दिनों में मेरे बाल झड़ने लगेंगे कैंसर मुझे निगलता जा रहा है — रणसिंह आराच्चिगे बिगुँँनि उत्पला, श्री लंका