यात्रा वृतांत – अयोध्या धाम के दर्शन
मुझे यात्राओं में बड़ा आनंद आता है, परंतु मेरे भाग्य में यात्राएं बहुत कम हैं । लेकिन जब कभी यात्रा करने का मौका मिलता है तो मैं उसे नहीं छोड़ता । मेरी आर्थिक स्थिति हमेशा खराब ही रहती है, फिर भी यात्राओं का आनंद भरपूर लेता हूं, क्योंकि मुझे चाहने वालों की कोई कमी नहीं । देश के हर कोने में चाहने वाले, जान- पहचान वाले मौजूद हैं । रहने व खाने की व्यवस्था हो जाती है । मेरे ऊपर ईश्वर की यही बड़ी भारी कृपा है ।
अभी हाल ही में अयोध्या धाम की यात्रा का शुभ मुहूर्त बना । मैं 5 मई 2023 को फिरोजाबाद से अयोध्या धाम की यात्रा पर भारतीय रेल से सामान्य यात्री के तौर पर निकला । 6 मई की सुबह अयोध्या जंक्शन पर पहुंच गया ।
अयोध्या वह नगरी है जहां प्रभु श्री राम ने जन्म लिया । अयोध्या को सारा संसार जानता है, क्योंकि भारत देश में यह हमेशा से सुर्खियों में रही है और क्यों रही है यह सारा संसार जानता है । गूगल बाबा के अनुसार अयोध्या का इतिहास कुछ इस तरह से है। अयोध्या को साकेत और राम नगरी नामों से भी जाना जाता है । उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख धार्मिक नगर है अयोध्या । पवित्र सरयू नदी के किनारे बसा है । इतिहास में इसे कौशल जनपद कहा जाता है । पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अयोध्या में सूर्यवंशी, रघुवंशी, अर्कवंशी राजाओं का राज हुआ करता था । इन्हीं वंशीय राजाओं में भगवान राम ने अवतार लिया था । यहां हिंदी व अवधी भाषा बोली जाती है । अयोध्या एक धार्मिक शहर है । यहां आश्रमों, मंदिरों व ट्रस्टों का अम्बार है ।
अयोध्या जंक्शन से मैंने इलेक्ट्रिक रिक्शा पकड़ा और पहुंच गया श्री परमहंस आश्रम । मुझे यहीं ठहरना था । एस. बी. सागर प्रजापति जी को कॉल किया । उन्होंने जो निर्देश दिया, उसे पूर्ण करते हुए, मैंने एक कमरे में अपना बैग रखा और नीचे नहाने चला गया । नहा धोकर कमरे में सो गया । ग्यारह बजे आश्रम में खाना खाया । कमरे में फिर से लेट गया । कुछ समय फोन पर बिताया और फिर सो गया । दोपहर एक बजे नींद खुली तो अयोध्या नगरी घूमने का विचार बनाकर नीचे आ गया । तब तक सागर साहब आ गये । उनसे जय श्रीराम हुई । उन्होंने कहा शाम को घूमने जाइऐगा, अभी धूप बहुत है, बीमार पड़ जाओगे । कुछ समय आश्रम में चल रहे कार्यक्रमों को देखने में बिताया और फिर से कमरे में चला गया । शाम चार बजे पानी की बोतल बगल में दबाकर मैं निकल पड़ा पवित्र नगरी अयोध्या जी के दर्शनों हेतु । सबसे पहले सरयू नदी के तट पर घूमा फिरा । राम की पैड़ी का विहंगम दृश्य मन को मोह लेता है । मन में विचार आया चलो श्री राम मंदिर (नव निर्माण हो रहा है ) को देखने चलते हैं । राम की पैड़ी से राम दरबार की एक धातु की मूर्ति खरीदी और सरयू के पवित्र जल से शुद्ध करके मैं चल पड़ा श्री राम मंदिर की तरफ । श्री हनुमानगढ़ी के दर्शन किये । श्री राम मंदिर के दर्शनों के लिए काफी सुरक्षा के इंतजाम थे । आप परिसर में कुछ भी नहीं ले जा सकते । श्री राम मंदिर का निर्माण कार्य बड़ी तेजी से चल रहा है । लौटते समय दशरथ महल भी देखा । काफी बड़ा, सुंदर भव्य है । चारों तरफ राम ही राम । इसके साथ ही कई अन्य छोटे-बड़े धार्मिक स्थलों के दर्शन किये ।
राम मंदिर के निर्माण की वजह से अयोध्या में इस समय काफी काम चल रहा है । चारों तरफ खुदाई हो रही है, सड़कें चौड़ी हो रहीं हैं । पुराने मकान, दुकान तोड़े-फोडे जा रहे हैं । चारों तरफ धूल, रेत उड़ रहा है । विकास कार्य युद्ध स्तर पर हो रहे हैं । सुरक्षा की दृष्टि से खाकी काफी सतर्क दिखी । गर्मी से मेरा बुरा हाल था । एक दुकान पर ठंडी आइसक्रीम का लुफ्त उठाया । ताजगी मिली और मेरे कदम चल पड़े परमहंस आश्रम की ओर । सूर्यदेव प्रस्थान कर चुके थे । थोड़ा सा अंधेरा हो चुका था । मैंने अपने कदमों की रफ्तार बड़ा दी ताकि समय से आश्रम पहुंचकर कल के कार्यक्रम की तैयारी कर सकूं ।
आश्रम में रात्रि का खाना खाकर एक मित्र के साथ टहलने निकल गया । लौटने के बाद आश्रम की रसोईये से काफी देर तक बातें कीं । दस बजे सो गया । दूसरे दिन सुबह छः बजे जागा । नित्य क्रिया कर्म करके नीचे आ गया । आजमगढ़ के एक सज्जन से कुछ देर तक चर्चा हुई और फिर बैग पैक करके एक मित्र के साथ आश्रम को छोड़कर हम निकल पड़े श्रीराम कथा संग्रहालय की ओर । संग्रहालय में काफी प्राचीन सामग्रियों के दर्शन किये । कार्यक्रम का लुफ्त उठाया । सम्मान ग्रहण किया । शाम के पांच कब बज गए पता ही नहीं चला । कार्यक्रम समाप्त हुआ । सागर साहब से विदा ली और मैं निकल पड़ा अयोध्या जंक्शन की ओर । रात्रि नौ बजे ट्रेन पकड़ी कानपुर पहुंचा, यहां से सीधी अपने गृह नगर फतेहाबाद के लिए ट्रेन पकड़ी और आठ मई की सुबह अपने गृह नगर फतेहाबाद की धरती पर मेरे कदम पड़ चुके थे ।
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा