कविता

करने से ही तो कुछ होता है

छोटा ही सही प्रयास करो,
करने से ही तो कुछ होता है।
तिनका-तिनका मिलने से ही,
ब्रह्मांड नजर यह आता है।
बूंद-बूंद कर घड़ा भरता,
बिन बूंद कहांँ भर पाता है।
नदिया से लेकर नीरनिधि,
सब ऐसे ही तो बनता है।
बारिश की बूंदों को देखो,
जब मिलकर जमी पर आता है।
प्यासी धरती की प्यास को वो,
फिर छन भर में हर लेता है।
आगे जब कोई बढ़ता है,
पीछे फिर झुण्ड हो जाता है।
मानव जब प्रण कर लेता है,
असंभव को संभव कर देता है।
इन चांँद-तारों से दुनिया है,
कितना सुंदर यह लगता है।
एक-एक हो अनेक बने ये,
एकता का यही फल होता है।
कण-कण के मिलने से ही तो,
पाहन भी पर्वत बन जाता है।
छोटा ही सही प्रयास करो,
करने से ही तो कुछ होता है।
— अमरेन्द्र

अमरेन्द्र कुमार

पता:-पचरुखिया, फतुहा, पटना, बिहार मो. :-9263582278