गीत
कोई उपहार भले मत लाना।
तुम अगर आना,इस तरह आना।
जैसे मरुथल से मिले इक बादल ।
जैसे प्यासे को मिले मीठा जल ।
रात काली अमा की बीते,ज्यों
-मिले ऊषा से सवेरा उज्ज्वल ।
जैसे सूखी हुई धरा से फिर,
झूमकर सावन मिले दीवाना ।
तुम अगर आना…………….
बाग को जैसे कि रितुराज मिले ।
मूक को जैसे कि आवाज मिले ।
जैसे विरहा से भरी गोपी को,
लौटकर मानो कि बृजराज मिलें।
जैसे बौराई सी अमराई को ,
मिले एक कोकिलकंठ का गाना।
तुम अगर………………
भ्रमर से जैसे की जलजात मिले।
भीरु को आशाभरी बात मिले ।
क्षितिज पे नभ से धरा मेल करे,
साँझ को जैसे दिन से रात मिले ।
आओ कि उम्र बहुत छोटी है ,
बाद में होगा सिर्फ पछताना ।
तुम अगर……………..
© डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी