कविता
हरसिंगार की महक में दुनिया दीवानी होती है।
खिलता है जब पारिजात हर ओर खुशहाली होती है।।
देह पर नेह की शेष कुछ तो निशानी होती है।
मोह में उलझी हुई हम सबकी जवानी होती है।।
हर सफर में जिंदगी की कुछ तो रवानी होती है।
बीते हुए हर एक लम्हें की खसक पुरानी होती है।।
तल्खियां सहने लगे तो घुटन बीमारी होती है।
हर घर घर की राजेश बस इतनी ही कहानी होती है।।
दर्द को सहन करने की ताकत जवानी होती है।
इंसानियत से रहने की आदत रूहानी होती है।।
— डॉ. राजेश कुमार शर्मा पुरोहित