कविता
हाथों में लगी मेहंदी खुशबू
हवाओं को महकाए
सज धज के
दरवाजे की ओट से
इंतजार करती प्रेयसी
आँखों से आँसू
इंतजार के बन जाते गवाह
तब प्रेम रूठने का आवरण पहन
चेहरे के भाव बदल देता और
शब्दों पर लगा जाता कर्फ्यू|
— संजय वर्मा “दृष्टि “
हाथों में लगी मेहंदी खुशबू
हवाओं को महकाए
सज धज के
दरवाजे की ओट से
इंतजार करती प्रेयसी
आँखों से आँसू
इंतजार के बन जाते गवाह
तब प्रेम रूठने का आवरण पहन
चेहरे के भाव बदल देता और
शब्दों पर लगा जाता कर्फ्यू|
— संजय वर्मा “दृष्टि “