कविता

चाँद मेरा बेदाग है

ए चाँद,जरा मेरे इस चांँद को देख।

है तुझसे भी ज्यादा कमसिन हसीं।। 

तुझमें तो दूर से दाग नजर आता है,

मेरा चाँद तो बिल्कुल बेदाग है।।

                 ए दागदार चाँद,नजर मत डाल,

                 मेरे इस मासूम से चाँद पर।

                 सामने इसके तू कुछ भी नहीं,

                 मुझे गुरुर है,मेरे इस चाँद पर।।

भोली सी सूरत,लबों की लाली

सुनहरे रंग लिए कानों की बाली

रेशम से केश,हो जुल्फों की बदली,

चाल इनकी बेहद मस्त मतवाली ।।

        इनकी रंगत,इनकी संगत सुहाना सफ़र है,

          मेरा चाँद,मेरी जिंदगी का हमसफर है।।

          तू बस घूम रहा है,यूंँ बादलों में इर्द-गिर्द

     मेरा चाँद तो मेरे पास नजरें जमाए बैठी है।।

मेरे  इस  चाँद को  देख  कर,

फलक  भी   शरमा   जाए।।

फूलों  सी  नजाकत  लिए  हैं,

चाँद मेरा देवबाला नजर आए।।

                  नख-शिख-रुप, अखियांँ नूरानी,

                  वो है मेरी सजनी,पगली,दीवानी।।

                  सावन-भादो की झर-झर पानी,

                  है सजनी मेरी मौजों की रवानी।।

   — महेन्द्र साहू “खलारीवाला”

महेन्द्र साहू "खलारीवाला"

मैं, एक शिक्षक हूँ। कविता लिखना मुझे अच्छा लगता है। ग्राम-खलारी, पोस्ट-कलंगपुर तहसील-गुंडरदेही, जिला-बालोद (छ ग) पिन कोड-491223 मो नं 9755466917