छात्र जीवन में अध्यात्म
छात्र जीवन में अध्यात्म की क्या आवश्यकता है? जब भी ‘छात्र जीवन में आध्यात्म’ की बात होती हैं तो सबसे पहले यही प्रश्न उठता हैं| आखिर छात्रों को अध्यात्म की क्या आवश्यकता? वो अध्यात्म लेकर करेगा क्या? जब कभी छात्रो के जीवन में अध्यात्म के समावेश की बात होती है तो उन्हें लगता है की उन्हें फंसाया जा रहा है| इस उम्र में अध्यात्म लेकर ये करेगा क्या? इस उम्र में बैंक में नौकरी चाहिये, रेलवे में नौकरी चाहिये, डॉक्टर बनेगा, इंजिनियर बनेगा, आईएस बनेगा, आईपीएस बनेगा, ये अध्यात्म लेकर करेगा क्या?
जीवन में अध्यात्म इसीलिए आवश्यक जाता है कि वर्तमान समय में जहाँ एक तरफ युवाओं के अन्दर बढ़ता हुआ तनाव दिख रहा हैं तो वही दूसरी तरफ मन के भीतर फैलता हुआ नकारात्मक विचार हैं| एक ऐसा समय जहाँ से युवा बड़ी ही आसानी से पतन की ओर बढ़ते हुए चले जाते हैं| एक ऐसा समय जहाँ युवा फैशन- फरस्ती की दुनिया में लिप्त हो रहे है| जहाँ चारो तरफ वातावरण में नकारात्मकता दिखाई परती है, जहाँ पिता और पुत्र के बीच प्रेम ख़त्म हो रहा, भाई- भाई के बीच का एकता कमजोर हो रहा है, माँ और बेटे के बीच प्यार कामता जा रहा हैं, मनुष्य , मनुष्य का शत्रु बन चूका हैं| जब वातावरण में इतने सारे नकारात्मकता फैली हुई हैं तो व्यक्ति के पास सिर्फ एक ही मार्ग बच जाता है अपने आप को सही दिशा में ले जाने को और वो मार्ग ‘भारत के अध्यात्म’ हैं| इसी मार्ग से जाकर इन्सान, इंसानियत को पा कर सकता हैं, और मानव, मानवता को पा सकता हैं|
छात्र जीवन में अध्यात्म इसलिए आवश्यक हैं की जब बीज वृक्ष बनेगा और वृक्ष सही नहीं बनेगा तो इसमें फल भी सही नही लगेगा |छात्रों भाषा में कहे तो छात्र जीवन में अध्यात्म इसलिए चाहिए की वो हमें अन्धकार से प्रकाश की और ले चले| युवा के भाषा में कहे तो उसके जवानी को जो सही दिशा देती वही भारत का अध्यात्म है| ये छात्र जीवन में चाहिए |आजकल शिक्षा के क्षेत्र में विद्यार्थी सफल होना चाहता है- ‘व्यक्तिव परिष्कार साधना ‘, चाहता है की मेरा व्यक्तिव बेहतर हो और इंटरव्यू में जाने के लिए इसे रंगा हुआ सियार बनाया जाता, शिक्षक कुछ प्रश्नों को रटवा देते हैं|साक्षात्कारकर्ता के सामने आते ही उसके अन्दर व्याकुलता बढ़ जाती है, अपने आप को असहज महसूस करता है, तो उसके शारीरिक भाषा से साक्षात्कारकर्ता समझ जाता है की ये रंगा सियार है और वो तुरंत क्रॉस क्वेश्चन पूछता हैं और बहुत सारे विद्यार्थी छट जाते और फिर घर आकर रोते है| लेकिन जिस विद्यार्थी के जीवन में अध्यात्म का समावेश होता हैं उसके आँखों में ऐसी चमक होती है की जब साक्षात्कारकर्ता आँखों में आँख डालकर अपनी बातों को बखूबी रखता है दुनिया देख कर दंग रह जाती | ये छात्र जीवन में अध्यात्म इसीलिय जरुरी हैं|
वर्तमान समय में जहाँ छात्र मानसिक रूप से तनाव और डिप्रेसन के शिकार हो गए उन्हें सिर्फ और सिर्फ फिजिक्स, केमेस्ट्री, मैथ, रीजनिंग आदि विषयों का ज्ञान और शिक्षा देकर उनके जीवन को सार्थक नही बना सकते हैं || ये फिजिक्स का फार्मूला भौतिक दुनिया और विज्ञान क्षेत्र के समस्या का समाधान कर सकता परतु जब मनुष्य के जीवन में तनाव, अवसाद, परेशानी आता है तो सिर्फ भारत का प्राचीन विज्ञान काम में आता जिसे हम भारत का अध्यात्म कहते हैं| ये बातें शिक्षकों को भी समझनी चाहिए की वे बच्चों को विषय-वस्तु का पूरा ज्ञान दे पर साथ ही साथ उन्हें भारत के उस विज्ञान का भी ज्ञान दे जिसे कभी पूरी दुनिया अपनाकर और प्रसन्न होकर जीवन जीते थे|
हम चाहते है की भारत के युवा विज्ञान के क्षेत्र में खूब आगे बढे पर इसके साथ-साथ वें अपने जीवन में अध्यात्म को भी समावेश करे और वैज्ञानिक-अध्यात्मवाद के पथ पर अग्रसर हो|