गीत – हिंदी जनमानस की भाषा
हिंदी जनमानस की भाषा ।
हिंदी है मीरा दीवानी ।
हिंदी है कबीर की बानी ।
हिंदी गोमाता सी पावन,
हिंदी है सुरसरि का पानी।
हिंदी रामचरित कहने को ,
बनती है मानस की भाषा।
हिंदी जनमानस की भाषा।
हिंदी आल्हा में ,धमहर मे ।
हिंदी खेतों मे हैं, घर में ।
हिंदी मेड़ो पर चल करके,
गाती है किसान के स्वर में।
जिसमें गीत हुए सावन के ,
हिंदी उस पावस की भाषा ।
हिंदी जनमानस की भाषा ।
हिंदी गोरी की तरुणाई ।
हिंदी यौवन की अँगड़ाई ।
हिंदी मधुर मिलन है प्रिय का,
हिंदी विरहा की तन्हाई ।
जिससे गीत के प्रेम के उपजे,
हिंदी उस अंतस की भाषा ।
हिंदी जनमानस की भाषा ।
हिंदी सुख दुख को कहती है।
हिंदी नयनों से बहती है ।
जब जब बात क्रांति की आये,
हिंदी कभी न चुप रहती है ।
जननी विद्रोही गीतों की ,
हिंदी किसके वश की भाषा ?
हिंदी जनमानस की भाषा ।
— डा. दिवाकर दत्त त्रिपाठी