बहुत याद आता है
आधी रात को सोए सोए
अचानक से जब मेरी आँख खुलती है
तो तुम्हारे साथ बिताया वो वक़्त बहुत याद आता है
वो खिलखिलाती हँसी का अचानक से उदास रहना
मेरे पूछने पर हाँ ठीक हूँ कहना
सच.. बड़ा याद आता है
वो गर्मी की छुट्टियों में जब
लिखी थी एक कविता तुम्हारे लिए
उसे पढ़ कर तुम्हारी आँखों मे पानी आ जाना
बड़ा याद आता है
बड़ी कोशिश करता था
कि ला सकूँ तुम्हारे चेहरे पर वो पहले वाली हँसी
पर मेरी किसी बात पर
झूठ मूठ ही ही करके फिर से गम्भीर हो जाना
बड़ा याद आता है
कभी इंतज़ार करता था तुम्हारा शाम को चलते समय
और देख लेता था तुम्हे अपने उनसे बाते करते हुए
फिर मेरा नज़रें बचा कर दूसरी तरफ से जाना
बड़ा याद आता है।
तुम्हारा वो बिन बात के मुस्कुराना
फिर गम्भीर हो जाना
बड़ा याद आता है
बड़ा याद आता है