गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका

उसे विश्वास है ईश्वर की नैसर्गिक व्यवस्था पर
चलाएगा हमें वो जो गगन-धरती चलाता है
परस्पर हम करें सहयोग औरों को उठाने में
हमें ऊपर उठाने में वो कितना झुक-झुकाता है
बिना जाने यहाँ आना यहाँ से फिर चले जाना
वो इन प्रश्नों का उत्तर ब्रह्म की इच्छा बताता है
वो जिसको ज्ञान है वो भक्ति की महिमा भी जाने है
करे वो ‘शान्त’ कैसे कर्म इतना जान जाता है
जो तन मन बुद्धि से से इन्द्रियाँ करतीं वही है कर्म
अकर्मों और विकर्मों की वो परिभाषा बताता है
विकर्मों से पहुँचती ठेस है ये जानता है वो
विकर्मों को अकर्मों में बदलना उसको आता है
— देवकी नन्दन ‘शान्त’

देवकी नंदन 'शान्त'

अवकाश प्राप्त मुख्य अभियंता, बिजली बोर्ड, उत्तर प्रदेश. प्रकाशित कृतियाँ - तलाश (ग़ज़ल संग्रह), तलाश जारी है (ग़ज़ल संग्रह). निवासी- लखनऊ