प्यार का पंछी
प्यार का पंछी भी गीत गाता
धड़कन ऐसी धड़कती की
डालियों से पत्ता टूट जाता।
कहते वसंत ऋतु में ऐसे ही आता
आमों पर लगे मोर फूल सुहाते
ताड़ी के भी ऊँचें पेड़ शोर मचाते
सूने पहाड़ भी गीत गुंजाते
टेसू भी ये सब देख मुस्कुराते।
— संजय वर्मा “दृष्टि”