उत्तर प्रदेश की प्राथमिक शिक्षा उत्कृष्टता की ओर
शिक्षा मनुष्य को संस्कारवान बनाने का माध्यम है। यह हमारी संवेदनशीलता और दृष्टि को प्रखर करती है, जिससे राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता की भावना विकसित होती है। शिक्षा से ही हमारे अंदर समझ और चिंतन में स्वतन्त्रता आती है साथ ही हमारे संविधान में प्रतिष्ठित समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र के लक्ष्यों की प्राप्ति में हमारी सहायता करती है। एक मनुष्य में उपरोक्त सभी गुणों का विकास प्रारंभिक शिक्षा से ही होना शुरु हो जाता है अतः प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था सुदृढ़ एवं आधुनिकता से परिपूर्ण होना नितांत आवश्यक है।
उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के शासनकाल में पिछले 5-6 वर्षों से प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में अनोखी क्रांति हो रही है। उत्तर प्रदेश में सरकारी विद्यालयों की अब तस्वीर बदल रही है। एक तरफ जहां स्कूल की बिल्डिंग और रखरखाव के साथ-साथ मूलभूत अवस्थापना सुविधाओं को सुदृढ़ व मजबूत किया जा रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण बुनियादी शिक्षा उपलब्ध कराने की दिशा में अद्यतन शिक्षण सामाग्री, प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति और आधुनिक तकनीक का भी इस्तेमाल हो रहा है। कक्षा 1 से लेकर 8 तक के बच्चों को बेहतर तरीके से शिक्षा देने के लिए अब सरकार पूरी तरह से सजग दिखाई दे रही है जिसके लिए समय-समय पर तमाम क्रांतिकारी प्रयास किए जा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार एवं बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा प्रदेश की प्राथमिक शिक्षा में किए जा रहे कुछ प्रमुख कार्य….
ऑपरेशन कायाकल्प:- जून 2018 में माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार ने भारत के सबसे बड़े कार्यक्रम में से एक ‘ऑपरेशन कायाकल्प’ की शुरूआत की थी। इसके अन्तर्गत अन्तर्विभागीय समन्वय स्थापित कर प्रदेश के समस्त प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों को 19 मूलभूत अवस्थापनात्मक सुविधाओं से आच्छादित करना है। प्रदेश में बड़े पैमाने पर स्कूलों का कायाकल्प किया जा चुका है। इन विद्यालयों में आकर्षक गेट, बाउंड्रीवाल, रनिंग वाटर सुविधा, फर्श पर टाइल्स, खेलने के लिए पार्क और लाइब्रेरी के साथ डिजिटल कक्षा-कक्ष, बालक और बालिकाओं के लिए अलग अलग शौचालय-मूत्रालय, पीने के पानी और हाथ धोने के लिए मल्टीपल हैण्डवॉश सिस्टम, क्लास रूम में बच्चों के बैठने के लिए फर्नीचर, प्रार्थना सभा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए ब्लूटूथ स्पीकर आदि की सुविधा उपलब्ध हो गई है। सरकार के सहयोग व शिक्षकों एवं एसएमसी सदस्यों की सक्रियता ने इन विद्यालयों को आदर्श विद्यालयों के रूप में परिवर्तित कर दिया और ये विद्यालय अब गांव के लोगों के लिए आकर्षण का केन्द्र बन चुके हैं। इस योजना से प्रदेश के 87,984 प्राथमिक एवं 55,083 उच्च प्राथमिक विद्यालय आच्छादित हैं। ऑपरेशन कायाकल्प के तहत शिक्षा के क्षेत्र में किये जा रहे कार्य एक ऐतिहासिक बदलाव का प्रतीक हैं। कायाकल्प के बाद इन विद्यालयों में छात्रों के नामांकन में रिकार्ड वृद्धि हुई है, वर्तमान में परिषदीय विद्यालयों में लगभग 1 करोड़ 91 लाख बच्चे पंजीकृत हैं। साथ ही इन विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को विश्वास हो चला है कि उनके सपने अवश्य ही साकार होंगे।
निशुल्क गणवेश हेतु डीबीटी के माध्यम से धनराशि हस्तांतरण:- उत्तर प्रदेश सरकार राज्य के बेसिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत संचालित सरकारी स्कूलों के बच्चों को मुफ्त यूनिफॉर्म, स्कूल बैग, जूते, मोजे और स्वेटर उपलब्ध करा रही है। पहले यह व्यवस्था विद्यालय स्तर से बच्चों को मिलती थी परंतु अब सरकार ने व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी बनाते हुए इसकी राशि सीधे अभिभावकों के खाते में डीबीटी के माध्यम से भेज रही है। अब तक इसके लिए प्रति छात्र 1100 रुपए भेजे जाते थे, जिसमें ₹600 यूनिफार्म के, ₹175 स्कूल बैग के, ₹125 जूते मोजे के एवं ₹200 स्वेटर के शामिल होते थे। अब सरकार ने इसमें ₹100 इजाफा करते हुए पेन, पेंसिल, रबड़ और शार्पनर के पैसे भेजने का भी निर्णय लिया है। अब परिषदीय विद्यालयों में नामांकित सभी बच्चे जिनके आधार कार्ड बने हैं उनके अभिभावकों के आधार से सीडेड बैंक खातों में 1200 रुपये भेजे जा रहे हैं।
किचन गार्डन का विकास:- परिषदीय बच्चों को कुपोषण से निजात दिलाने और उनकी सेहत सुधारने के लिये बच्चों को दूध और मौसमी फलों के साथ-साथ अब विद्यालय परिसर में ‘किचन गार्डन’ में रासायनिक उर्वरकों और दवाइयों के प्रयोग के बगैर जैविक रूप से उगाई गई सब्जियां दी जाएंगी। प्रदेश के प्रत्येक विद्यालय में ‘किचन गार्डन’ को विकसित करने हेतु शासन द्वारा धनराशि विद्यालयों को उपलब्ध कराई जा रही है।
कम्पोजिट ग्रांट:- गुणवत्तापूर्ण शिक्षण कार्य को निर्बाध रूप से संचालित करने एवं विद्यालयों की दैनिक भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने कम्पोजिट ग्रांट की व्यवस्था की है। सत्र 2017-2018 तक शासन से जो धनराशि मिलती थी, उससे स्कूलों की रंगाई-पुताई, विद्यालय की दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति, साफ-सफाई स्वच्छता आदि ठीक से नहीं हो पाती थी। कुछ वर्ष पहले शासन ने प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों की आवश्यकता को देखते हुए कंपोजिट स्कूल ग्रांट उपलब्ध कराने की शुरुआत की। कांवेंट की तर्ज पर इन स्कूलों को बनाने के लिए सभी प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों को नामांकित बच्चों की संख्या के आधार पर कंपोजिट ग्रांट के तहत धनराशि दी जा रही है। धनराशि उपलब्ध होने पर स्कूलों की विभिन्न व्यवस्थाओं तथा संसाधनों को सुदृढ़ करने के अच्छे परिणाम भी सामने आए हैं। स्कूलों में रंगाई-पुताई तथा शैक्षिक बाला पेंटिग के अलावा स्वच्छता संबंधी व्यवस्थाएं भी दुरस्त हुई हैं। इसके तहत 01 से 30 तक बच्चों की संख्या पर 10 हजार रुपये, 30 से 100 बच्चों पर 25 हजार, 100 से 250 बच्चों पर 50 हजार, 250 से 1000 बच्चों पर 75 हजार और 1000 से अधिक बच्चों वाले स्कूलों को एक लाख रुपये ग्रांट उपलब्ध कराई जा रही है।
खेल सामग्री की व्यवस्था:- खेलों के माध्यम से ही एक बच्चे का समग्र विकास संभव है। ग्रामीणांचल के परिषदीय विद्यालयों से ही राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों की नीव रखी जाती है। आज के कुछ वर्षों पूर्व प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में खेल सामाग्री की कल्पना करना भी संभव नहीं था जिसका मुख्य कारण बजट का अभाव था लेकिन पिछले कुछ वर्षों में प्रदेश का हर प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय गुणवत्तापूर्ण खेल सामाग्री से आच्छादित हो चुका है। प्रदेश सरकार ने इसके लिए प्रत्येक प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय को प्रतिवर्ष के हिसाब से क्रमशः 5000 व 8000 की धनराशि जारी की। सरकार के प्रयासों के फलस्वरूप आज प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों के बच्चे राष्ट्रीय स्तर तक खेलों में अपना लोहा मनवा रहे हैं।
क्रियाशील पुस्तकालय:- आज प्रदेश का हर प्राथमिक विद्यालय क्रियाशील पुस्तकालय एवं प्रत्येक कक्षा-कक्ष रीडिंग कार्नर से आच्छादित है। यहाँ पर बच्चे पाठ्यक्रम के अतिरिक्त नैतिकता और संस्कारों का भी अध्ययन करते हैं। पुस्तकालयों के निर्माण हेतु सरकार ने इसके लिए प्रत्येक प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय को एकमुश्त क्रमशः 5000 व 8000 की धनराशि जारी की जिससे विद्यालय स्तर पर पुस्तकालयों के लिए पुस्तकें क्रय की गई साथ ही विभाग ने भी एनबीटी और एनसीईआरटी की सैकडों पुस्तकें स्कूलों को उपलब्ध करवाई हैं।
प्रिंटरिच एवं शिक्षण सहायक सामाग्री:- छोटे बच्चों का कक्षा-कक्ष में ध्यानाकर्षण बढाने में प्रिंटरिच एवं शिक्षण सहायक सामाग्री का काफी योगदान है। इसके माध्यम से बच्चों में ज्ञान का स्थायित्व आता है। आज प्रदेश के हर सरकारी स्कूल में प्रिंटरिच मैटेरियल बहुतायत मात्रा में उपलब्ध है। प्रदेश सरकार के सहयोग से बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा प्रदेश के सभी परिषदीय विद्यालयों में भाषा और गणित के लगभग सवा सौ पोस्टर, 5 बिग बुक, गणित व विज्ञान किट आदि तमाम तरह का लर्निंग मैटेरियल उपलब्ध कराया गया है एवं शिक्षण सहायक सामाग्री के निर्माण के लिए विभाग द्वारा प्रति शिक्षक एवं बच्चों को निर्धारित धनराशि भी उपलब्ध कराई जा रही है।
निशुल्क पाठ्य पुस्तकों एवं कार्यपुस्तिकाओं का समय से वितरण:- एक समय ऐसा था कि परिषदीय विद्यालयों में मिलने वाली पुस्तकें आधे से अधिक सत्र बीत जाने के बाद बच्चों को मिल पाती थी जिससे पाठ्यक्रम को पढ़ाने और पढ़ने में छात्रों व शिक्षकों को बेहद कठिनाई का सामना करना पड़ता था लेकिन आज विभाग एवं सरकार का कार्य इस क्षेत्र में सराहनीय है। अब बच्चों को सत्रारंभ में ही पुस्तकें उपलब्ध हो जाती हैं जिससे उनकी पढ़ाई बाधित नहीं होती और सुचारू रूप से चलती रहती है। बच्चों को अब पाठ्य पुस्तकों के साथ-साथ प्रत्येक विषय की कार्यपुस्तिकाएँ भी मिलती है जिससे वह अपने पाठ्यक्रम को आसानी से कंठस्थ कर रहे हैं।
निपुण भारत मिशन:- हमारी शिक्षा व्यवस्था जितनी अधिक गुणवत्तापूर्ण एवं लक्ष्य केंद्रित होगी उतनी ही हमारे देश की शिक्षा रूपी नींव सशक्त होगी। बच्चों को भाषा और गणित में प्रवीणता के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग की पहल से निपुण भारत मिशन(NIPUN- National Initiative For Proficiency in Reading with Understanding & Numeracy) लागू किया गया। छात्रों में निपुण भारत मिशन के तहत निर्धारित लक्ष्यों के अनुरूप आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान प्रदान किया जाएगा। सरकार का लक्ष्य है कि निपुण मिशन के माध्यम से सभी बच्चे साल 2026-27 तक पढ़ना, लिखना और अंग्रेजी भाषा में निपुण अर्थात दक्ष हों जाएँ। निपुण भारत मिशन के तहत विद्यालयों में “चहक/स्कूल रेडीनेस” कार्यक्रम भी संचालित किया जा रहा है। “चहक”( चिल्ड्रन हैप्पीनेस इन एंबियंस एंड एक्वायरिंग नॉलेज)’ में अभिभावक-शिक्षक बैठक करेंगे। इस चहक कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य यह है कि इसमें माता-पिता को शिक्षक स्कूल में बच्चे की हुई प्रगति के बारे में अवगत कराएंगे साथ ही बच्चे स्कूल में सीखें हुनर का प्रदर्शन भी करेंगे और स्कूल रेडीनेस से तात्पर्य बच्चों को सीखने-सिखाने व स्कूली शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के पूर्व की तैयारी। विद्यालय स्तर पर बालवाटिका व कक्षा-1 के नव प्रवेशी बच्चों को एक निर्धारित पाठ्यक्रम कैलेंडर के तहत शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए आंनदमयी माहौल में गतिविधि एवं खेल आधारित शिक्षा दी जा रही है जिससे बच्चे स्कूली माहौल में ढल रहे हैं और पाठ्यक्रम को सीखने के लिए सहज हो रहे हैं। स्कूल रेडीनेस के लिए शासन के द्वारा 2700 रुपये धनराशि भी विद्यालयों में निर्धारित सामाग्री क्रय करने के लिए भेजी गई है। इसके अतिरिक्त विद्यालयों में एफ.एल.एन. और ग्रेडेड लर्निंग प्रोग्राम आदि संचालित हैं। निपुण भारत के प्रभावी क्रियान्वयन के फलस्वरूप आज परिषदीय विद्यालयों का हर बच्चा हुनरमंद और काबिल बन रहा है जिसमें शिक्षको का सराहनीय योगदान है।
महिला सशक्तिकरण की दिशा में प्रयास:- सूबे की सरकार ने महिलाओं को सशक्त, स्वावलंबी एवं आत्मनिर्भर बनाने के लिए “मिशन शक्ति” अभियान की शुरुआत की। इसके तहत चरणबद्ध तरीके से विद्यालयों में कार्यक्रम संचालित हो रहे हैं तथा बच्चियों के साथ-साथ उनकी माताएँ भी सशक्त एवं स्वालंबी बन रही हैं। इसके लिए सरकार ने विशेष पैकेज तैयार किया है। इसके साथ ही सरकार ने बेटियों को आत्मरक्षा के गुण सिखाने के लिए रानी लक्ष्मीबाई आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित कर रही है। इसके माध्यम से बालिकाओं को विद्यालय में प्रशिक्षित किया जा रहा है जिससे विपरीत परिस्थितियों में वे स्वयं की रक्षा कर सकें।
तकनीकी का समावेश:- उत्तर प्रदेश सरकार लगातार इस दिशा में कार्य कर रही है। उत्तर प्रदेश की प्राथमिक शिक्षा में काफी बदलाव आया है। अब कक्षा शिक्षण के साथ-साथ स्कूली व्यवस्थाएं तकनीकी समृद्ध हो रही हैं। विभाग द्वारा प्रथम चरण में कुछ विद्यालयों में स्मार्ट क्लास के संचालन हेतु प्रोजेक्टर का वितरण किया गया इसके साथ ही स्कूलों में टैब-लैब सेटअप तैयार हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के मन से विज्ञान और गणित का डर खत्म करने और बच्चों को खेल-खेल में सीखने-सिखाने के लिए स्कूलों में टैब-लैब की सौगात दी जा रही है। बेसिक शिक्षा का समस्त पाठ्यक्रम “दीक्षा” ऐप पर अपलोड हो रहा है जहाँ पर शिक्षकों, बच्चों के साथ-साथ अभिभावक कभी भी देख सकते हैं, इसके अलावा रीड एलांग, निपुण लक्ष्य ऐप, बाल पिटारा आदि तमाम ऐप बच्चों की शिक्षा में सहयोगी हैं जिन्हें एंड्रॉयड मोबाइल पर कभी भी इंस्टॉल किया जा सकता है। स्कूलों में रेडियो, ब्लूटूथ स्पीकर, कुछ विद्यालयों में स्मार्ट टेलीविजन आदि की व्यवस्था भी है। विभाग द्वारा प्रदेश के सभी परिषदीय विद्यालयों में दो-दो टैबलेट एक प्रधानाध्यापक और दूसरा वरिष्ठ सहायक को वितरित किए गए हैं। अब इन टैबलेट के माध्यम से परिषदीय स्कूलों में सारी पंजिकाओं को आनलाइन डिजिटल करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। अब उपस्थिति, प्रवेश, एमडीएम आदि सभी जरूरी चीजें डिजिटली होंगी। विभाग परिषदीय शिक्षकों के तमाम प्रशिक्षण अब आनलाइन दीक्षा ऐप व यूट्यूब के माध्यम से करवा रहा है जिससे समय व धन दोनों की बचत हो रही है।
उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों की भौतिक और शैक्षिक स्थिति में अप्रत्याशित सुधार इसलिए नहीं संभव हुआ कि किसी के दिमाग में ख्याल आया कि यह अच्छा है और सफलता मिल गई। ऐसा कुछ बेहतर करने के लिए पूरी व्यवस्था को बदलना पड़ता है। बड़ा बदलाव हर एक के सहयोग की माँग करता है। सरकारी व्यवस्था से लेकर समाज से जुड़े संगठनों, फाउंडेशन, अकादमिक, डोनर्स और समुदायों सभी के योगदान की ज़रूरत पड़ती है। इस संदर्भ में उत्तर प्रदेश की प्रशासनिक इच्छाशक्ति और कुछ बड़ा करने की उत्सुकता, नीचे से ऊपर और ऊपर से नीचे तक का संतुलन और बुनियादी शिक्षा के लक्ष्यों को समझना तथा विश्वास और पारदर्शिता पर आधारित साझेदारी, सब कुछ देखने को मिल रहा है जो तारीफ के काबिल है। आज उत्तर प्रदेश भारत के हर राज्य के लिए यह उम्मीद की किरण जगाता है कि वह दृढ़ इच्छाशक्ति से इस बदलाव को हासिल करते हुए बुनियादी शिक्षा को मजबूत कर सकते हैं।
— नवनीत कुमार शुक्ल