सामाजिक

बच्चों का जीवन चाहते हैं खुशहाल तो बचपन से सिखाएं जीवन कौशल

वर्तमान समय में बच्चे स्कूल में जिन कौशलों को सीखते हैं और वास्तविक दुनिया में समायोजन के लिए आवश्यक कौशलों के बीच बहुत अंतर होता है। यदि हम चाहते हैं कि बच्चे इस दुनिया का सामना करने में और सकारात्मक योगदान देने में सक्षम हो तो इस अंतर को मिटाने के लिए उन्हें जीवन कौशल का प्रशिक्षण देना आवश्यक है। जीवन कौशल वे कौशल हैं जिनसे रोजमर्रा के जीवन में चुनौतियों व परिस्थितियों से प्रभावी ढंग से निपटा जा सकता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (1990) ने जीवन कौशल को मनोसामाजिक दक्षता व पारस्परिक कौशलों के रूप में परिभाषित किया है जो निर्णय लेने, समस्याओं को हल करने, रचनात्मक तरीके से सोचने, प्रभावी संवाद करने, स्वस्थ संबंध बनाने, दूसरों के साथ सहानुभूति रखने में सहयोग करने के साथ स्वस्थ और उत्पादक तरीके से अपने जीवन को जीने में सहयोग करते हैं। जीवन कौशल को व्यक्तिगत कार्यों या सार्वजनिक कार्यों के साथ-साथ आसपास के वातावरण को स्वास्थ्य के लिए अनुकूल बनाने के लिए कार्यों की ओर इंगित किया जा सकता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 10 प्रमुख जीवन कौशलों को सूचीबद्ध किया है जो निम्न हैं:-

# समस्या को सुलझाना

# धनात्मक सोच

# प्रभावी संचार कौशल

# निर्णय लेना क्षमता

# रचनात्मक सोच

# पारस्परिक संबंध कौशल

# आत्म-जागरूकता

# समानुभूति

# तनाव से निपटना

# भावनाओं का प्रबंधन

*बच्चों को जीवन कौशल सिखाने के आसान उपाय:-*

*कहानी से सिखाएं संचार कौशल :-* बच्चों को अपनी रचनात्मकता व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित करें, उन्हें कहानियाँ सुनाकर उनके संचार कौशल में सुधार करें। इससे उन्हें विचारों व भावनाओं को प्रभावी ढंग से व्यक्त करने में मदद मिलती है।

*पहेलियों से सिखाएं समस्या का समाधान:-* पहेलियाँ सुलझाना सोचने और समस्या सुलझाने की क्षमताओं को बढ़ाने का अच्छा तरीका है। पहेलियों से बच्चे स्थितियों का विश्लेषण करना और समस्या का समाधान ढूंढना सीखते हैं।

*पालतू जानवरों के देखभाल से सिखाएं जिम्मेदारी का निर्वहन:-* कुत्ता, खरगोश, तोता, गाय जैसे पालतू जानवर को पालना बच्चों को जिम्मेदारी के बारे में सिखाता है। उन्हें अपने पालतू जानवरों को खाना खिलाना, संवारना और उनकी देखभाल करने से उनमें जवाबदेही की भावना पैदा होती है।

*मकान निर्माण खेल से सिखाएं समूहिकता:-* मित्रों व परिवार के सदस्यों के साथ मकान के निर्माण खेल से बच्चे सहयोग, संचार, संप्रेषण और रचनात्मकता सीखते हैं। बच्चे एक साथ मिलकर काम करना, कार्य सौंपना और एक समान लक्ष्य निर्धारित करने व उन्हें हासिल करना सीखते हैं।

*गुल्लक से सिखाएं वित्त प्रबंधन:-* गुल्लक का उपयोग बच्चों को वित्तीय जिम्मेदारी से परिचित कराता है। वे पैसे बचा सिखते हैं, लक्ष्य निर्धारित कर सकते हैं। बजट का महत्व सीख सकते हैं, जिससे भविष्य की वित्तीय दक्षता का मार्ग प्रशस्त होता है।

*खाना पकाने से सिखाएं निर्णय लेना:-* साधारण भोजन पकाने से बच्चों को सामग्री, माप और खाना पकाने के समय के बारे में निर्णय लेने का कौशल आता है। इससे स्वतंत्रता की भावना को भी बढ़ावा मिलता है व भोजन निर्माण कौशल का विकास करता है।

*दैनिक क्रियाकलापों से सिखाएं समय प्रबंधन:-* दैनिक कार्यक्रम बनाने और उसका पालन करने से बच्चों को अपना समय कुशलतापूर्वक प्रबंधित करने में मदद मिलती है। वे कार्यों को प्राथमिकता देना, लक्ष्य निर्धारित करना सीखता है और  जीवन में रचनात्मकता की भावना का विकास होता हैं।

*भावनाओं के चार्ट से सिखाएं साम्वेगिक बुद्धिमत्ता:-* भावनाओं के चार्ट से बच्चों को अपनी भावनाओं को पहचानने और व्यक्त करने में मदद  मिलती है। ये गतिविधियांँ साम्वेगिक बुद्धि (EQ) को बढ़ावा देती है, जिससे बच्चों को अपनी भावनाओं को समझने और प्रबंधित करने में मदद मिलती है।

*खेल सिखाएं रणनीति बनाने का कौशल:-* खेल जैसे शतरंज व बोर्ड गेम बच्चों को मनोरंजन के साथ गंभीरता से सोचने, आगे की योजना बनाने और रणनीतिक निर्णय लेने का कौशल विकसित होता है।

*दिनचर्या से सिखाएं स्वयं की देखभाल करना:-* बच्चों को दाँत में ब्रश करना, हाथ धोना और स्नान करने जैसी दिनचर्या के माध्यम से व्यक्तिगत स्वच्छता का महत्व सिखाएं। इससे स्वस्थ स्व-देखभाल की आदतें विकसित होती हैं।

*भूमिका निर्वहन से सिखाएं सहानुभूति:-* भूमिका निभाने वाले परिदृश्य बच्चों को सहानुभूति को समझने और अभ्यास करने में मदद करते हैं। वे भूमिका निर्माण के माध्यम से दूसरों की स्थिति और करुणा को समझने में सक्षम होते हैं।

*कमरे की सफ़ाई से सिखाएं संगठनात्मक कौशल:-* अपने कमरों की सफ़ाई करने व व्यवस्थित करने से बच्चे अपने सामान को व्यवस्थित करना सिखाता है। यह गतिविधि संगठनात्मक कौशल और स्वच्छता की भावना पैदा करती है।

*बागवानी से सिखाएं लचीलापन:-* बागवानी करना धैर्य और लचीलापन सिखाती है। बच्चे पौधों की देखभाल करना सीखते हैं, असफलताओं का सामना करते हैं व बगीचे को विकसित होते हुए देखते हैं व अपने प्रयासों का सफल होता देखकर उत्साहित होते हैं।

*मध्यस्थता से  सिखाएं संघर्ष समाधान:-* बच्चों को दोस्तों व भाई-बहनों के बीच विवादों में मध्यस्थता करने के लिए प्रोत्साहित करें। यह गतिविधि उन्हें सुनने, समझने और समझौता ढूंढने के माध्यम से संघर्ष समाधान कौशल विकसित करने में मदद करती है।

*पुनर्चक्रण से सिखाएं पर्यावरण जागरूकता:-* बच्चों को पुनर्चक्रण के माध्यम से पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का महत्व सिखाएं। वे अधिक सफलतापूर्वक भविष्य में योगदान करते हुए सामग्रियों को क्रमबद्ध और पुनर्चक्रित करना सीख सकते हैं।

बच्चों के परवरिश एवं जीवन कौशल सीखाने में कठिनाई होने पर अभिभावक प्रशिक्षित व अनुभवी मनोवैज्ञानिक से संपर्क कर मदद ले सकते हैं क्योंकि आधुनिक समय में एकांकी परिवार के बढ़ते प्रचलन के कारण अभिभावकों को जीवन कौशल के प्रबंधन में कठिनाइयां देखी जा रही है।

जीवन कौशलों की सहायता से व्यक्ति  जीवन में आने वाले कठिनाइयों व चुनौतियों का सामना आसानी से करने सक्षम होता है। जीवन कौशल सकारात्मक, सफल और संतुष्ट जीवन जीने में मदद करता है। जीवन कौशल व्यक्तिगत व सामाजिक जीवन, नैतिक, व्यक्तिगत विकास, समय प्रबंधन में मदद करता है। इसलिए बच्चों के परवरिश के साथ-साथ उन्हें जीवन कौशलों का प्रशिक्षण दिया जाय जो सफल एवं सुखमय जीवन के लिए आवश्यक है।

— डॉ. मनोज कुमार तिवारी 

डॉ. मनोज कुमार तिवारी

वरिष्ठ परामर्शदाता ए आर टी सेंटर, एस एस हॉस्पिटल आई एम एस, बीएचयू वाराणसी