सामाजिक

चरित्र और हम

हमारा चरित्र ही हमारा सबसे बड़ा धन है, वैसे चाहे हमारे पास कितनी भी संपत्ति हो कितने भी हीरे जवाहरात हो जायदाद हो पर यदि चरित्र नही है तो सब व्यर्थ है।

जो व्यक्ति निजी जीवन में कर्तव्यपरायण, सत्यनिष्ठ,स्नेहशील, सामाजिक जीवन में शिष्टता,लोगो के प्रति अगाध स्नेह धर्म के प्रति श्रद्धावान होता है वही चरित्रवान कहलाता है ना कि धनवान या कोई बड़ा पदाअधिकारी। एक बात और चरित्रवान की बात को हर कोई प्रमाणिक मानता है और उस पर चलना चाहता है। चरित्र के बल पर हम अनेकों कठिनाइयों को दूर कर सकते हैं सफलता प्राप्त कर सकते हैं उदाहरणार्थ जापान को ही ले लीजिए जिसने दो-दो विश्वयुद्ध झेले परमाणु हमलों में अपना सब कुछ गवां दिया लेकिन वहां के चरित्रवान नागरीको के बल पर आज वह देश विकसित देशों की श्रेणी में आ खड़ा हुआ है जानते हैं क्यों क्योंकि वहां का हर नागरिक सत्यता से कार्य करता है समय पर आना समय पर लौटना कार्य-समय में अपना कार्य पूरी तन्मयता और निष्ठा से पूर्ण करके ही घर जाता है वहां भ्रष्टाचार का नामो निशान नहीं है सभी लोग अपने राष्ट्र के प्रति, परिवार के प्रति अपने कर्तव्य के प्रति समर्पित हैं तभी जापान आज पूरे विश्व में एक उदाहरण बनकर उभरा है।

यदि हम चरित्रवान हैं हम निष्ठावान हैं तो समझिए हम संसार के सबसे अधिक धनी और सफल व्यक्ति हैं। अतः हमे अपने साथ ही अपनी अगली पीढ़ी को भी चरित्रवान बनाने का भरसक प्रयत्न करने चाहिए।

— डॉ. शिवदत्त शर्मा शिव

डॉ. शिवदत्त शर्मा

शिक्षा B.A.M.S. आयुर्वेद स्नातक 1972 जन्म 1950 50 वर्षो से साहित्य सेवारत गीत,ग़ज़ल,गद्य-पद्य लेखन अनेको देश-विदेश के पत्र-पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन मंचीय कवि अनेको संस्थाओं द्वारा सम्मानित। आकशवाणी एवं दूरदर्शन से अनेको कार्यक्रम प्रसारित। स्वयम के फेसबुक पेज़ और यू-ट्यूब चेनल साप्ताहिक ऑन लाइन कर्यक्रम की अनवरत प्रस्तुति। अनेको नवोदित साहित्यकारों का मार्गदर्शन एवम ऑनलाइन काव्य पाठ का अवसर प्रदान कर उनमें आत्मविश्वास भरना। पता:-- शशि क्लीनिक C-240 मुरलीपुरा स्कीम जयपुर राजस्थान 302039 मोबाइल 9829640001