लघुकथा – सख्तीकरण
आज फिर किशोरावस्था में प्रवेश कर चुका मोनू रात में देर से घर आय.उसकी मां सीमा ने गुस्से में आकर उसके दोनों कलाईया पकड़ी और पूछने लगा “बता,,आजकल तू रोज ही रात को देर से घर आता है, आखिर कहां रहता है रात के नौ दस बजे तक”.मोनू कसम बते हुए कहने लगा ” क्या मां,,आप भी ना बस शुरू हो जाती हैं, क्यों नहीं रह सकता मैं बाहर, यही बात आप दीदी से पूछो वो भी तो अपने काम के नाम देर से घर आती हैं.वा
चट्टाक,, एक जोरदार थप्पड़ सीमा ने मोनू के गाल पर जड़ दिया.मोनू बोला “ये क्या है मां”.सीमा बोली_” सख्तीकरण, जो तेरे लिए बहुत जरूरी हो गया है, तेरी पढ़ाई के लिए ही तेरी दीदी और मैं काम कर रहे हैं. और तू है की आवारा बनता जा रहा है.जानता भी है कि कोरोना से मौत के समय मैं और तेरी दीदी ने तेरे पापा से वादा किया है कि तुझे एक अच्छा इंसान बनायेंगे.
मोनू सिर झुका कर अपने गाल सहलाने लगा.
— अमृता राजेन्द्र प्रसाद