अवधी गीत
जुग बदला ,सब गांव बदलिगे,
होली के हुड़दंग कहाँ हैं ?
अब पहिले कस रंग कहाँ हैं ?
खतम भई मंडली गांव कै,
ढोल और करताल चलेगे।
भांग घोटइया गुजरि गये सब ,
गांवन से चौपाल चलेगे ।
फागुन भरि सब रंग चलावैं,
पहिले कैस उमंग कहाँ है ?
पहिले कस अब रंग कहाँ हैं ?
राति राति भर चलैं धमहरी ,
बाबा रहैं फगुन भर देवर।
जिन भौजिन के दांत गिरि गये,
उन्हूं केरि बदलि गे तेवर ।
हंसी ठिठोली , खींचातानी,
अब पहिले कस ढंग कहाॅं हैं?
अब पहिले कस रंग कहाँ हैं ?
गुझिया,कचरी,और कचौड़ी,
पेंड़ा, पूड़ी, खीर मलाई ।
रंग अबीर और पिचकारी ,
कपड़े नये ,नाप ,सिलवाई।
होली मिलै, गांव भरि घूमैं,
ऊयं यारन कै संग कहाँ हैं?
अब पहिले कस रंग कहाँ हैं?
— डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी