गीतिका
सच को सच कहने की ताकत रखते हैं ।
अपने सर पे हर दिन आफत रखते हैं ।
कलम किया सर तानाशाहों ने मेरा ,
हम अदीब, दिल बीच बगावत रखते हैं।
आंसू सूखे तो दुनिया मर जायेगी ,
अश्कों की इसलिए हिफाजत रखते हैं ।
इंकलाब को भी पैदा कर सकते हैं,
हम स्याही में ऐसी कूवत रखते हैं ।
तुम पैगाम मुहब्बत का मत फैलाओ !
दुनिया वाले सिर्फ अदावत रखते हैं ।
— डॉ. दिवाकर ‘गंजरहा’