कविता

युद्ध 

बम, गोले, मिसाईल,बारूद

डर, चीख, मौत, कांपती रूह

लड़ते हैं दो गुट

जान देते हैं सैनिक

जान गंवाते हैं असैनिक 

जन्म लेते हैं अनाथ

शरणार्थी भटकते बदहवास 

नष्ट होते हैं संसाधन

रह जाता है चारों तरफ 

केवल करुण क्रंदन 

कोई-न-कोई है जीतता 

हारती है हमेशा मानवता

होता है कागजी समझौता 

दिलों में फासला है बढ़ता

बोए जाते हैं बीज

जो तय करता है

अगला युद्ध और भविष्य 

कब खत्म होगा

धरती से युद्ध ?

शायद कभी नहीं

क्योंकि नहीं सीखता है कोई 

इतिहास के पन्नों से 

दुनिया को मतलब है 

अपने-अपने

अहं,धर्म,अर्थ,और बॉर्डर से।

— मृत्युंजय कुमार मनोज

मृत्युंजय कुमार मनोज

जन्म तिथि -3.8.1977 पेशा - सरकारी नौकरी (भारत सरकार) पता- टेकजोन-4, निराला एस्टेट ग्रेटर नोएडा (पश्चिम) उ.प.201306