एक प्रगतिशील रचना ‘मन का फेर‘
(पुस्तक समीक्षा)
सतसैया के दोहरे ज्यो नावक के तीर। देखन में छोटे लगे घाव करें गंभीर ।। उक्त दोहा कभी बिहारी की सतसई की प्रशंसा में कहा गया था, लेकिन आज सुरेश सौरभ द्वारा संपादित साझा लघुकथा संग्रह ‘मन का फेर‘ पर यह पूरी तरह चरितार्थ हो रहा है। भागदौड़ भरी जिंदगी में जब लोगों के पास उपन्यास और बड़ी कहानियों के पढ़ने का वक्त लगभग नहीं है, तब लघुकथाएँ कम समय में अधिक समझ-बूझ पैदा करती हैं। आज आधुनिकता भरी जिंदगी में मानव मन अंधविश्वास ,रूढ़ियों-कुरीतियों से ग्रस्त-त्रस्त है, तब वर्तमान समय की विसंगतियों पर तीव्र प्रहार करती साठ लघुकथाकारों की लघुकथाएँ पाठकों के मन को फेरने में पूर्ण समर्थ हैं।
प्रस्तुत संग्रह ‘मन का फेर‘ न केवल समाज की विद्रूपता पर प्रहार करता है बल्कि गलत और अज्ञानता की राह पर बढ़ने से रोकता है ,आगाह करता है। संकलन की प्रथम लघुकथा ‘कन्या पक्ष‘ की मार्मिकता देखते ही बनती है, जब नवरात्र में देवीपूजक परिवार कन्या भ्रूण हत्या में प्रवृत्त दिखाई देता है। योगराज प्रभाकर की लिखित इस लघुकथा में नारी शक्ति के प्रति खोखली आस्था पाठक के मन के पट खोल देती है। इसी प्रकार आदित कंसल की, लघुकथा ‘जन्मपत्री‘ सफल वैवाहिक जीवन के लिए मात्र कुंडली मिलान करना, अवैज्ञानिक सोच को बेनकाब करती है। इसी तरह ‘मन का फेर‘ की सभी रचनाएँ पाठकों के विचार परिवर्तन के लिए धरातल ही नहीं प्रदान करती, अपितु लंबी परम्परा से चली आ रही रूढ़ियों एवं कुरीतियों को तोड़ने के लिए विवश करती हैं। सभी रचनाएं प्रभावशाली प्रस्तुति, उन्नत चिंतन और सारभूत विषयों को आत्मसात करती हैं। संग्रह की भूमिका जाने-माने पत्रकार अजय बोकिल ने लिखी है। मीरा जैन, सुकेश सहानी, चित्तगुप्त,नीना मंदिलवार, रमाकान्त चौधरी, डॉ.पूरन सिंह,भगवान वैद्य ‘प्रखर’, सतीश खनगवाल, चित्तरंजन गोप, डॉ,.चंद्रेश कुमार छतलानी, डॉ, शैलेष गुप्त ‘वीर’, सुरेश सौरभ, गुलजार हुसैन, आदि रचनाकारों की जीवंत लघुकथाओं से परिपूर्ण यह संग्रह संग्रहणीय है, क्योंकि आम आदमी के लिए पठनीय होने के साथ-साथ यह साझा संग्रह एक सुरुचि पूर्ण और साहित्यिक कृति भी कहा जा सकता है। इससे पहले सौरभ जी द्वारा संपादित तालाबंदी, इस दुनिया में तीसरी दुनिया, गुलाबी गलियाँ आदि रचनाएं अपार यश पा चुकी हैं।
— सत्य प्रकाश ‘शिक्षक’
पुस्तक-मन का फेर (साझा लघुकथा संग्रह)
लेखक-सुरेश सौरभ
प्रकाशक-श्वेत वर्णा प्रकाशन नई दिल्ली।
मूल्य-260
पृष्ठ-144 (पेपर बैक)