रंगोत्सव
परिंदें गा रहे हैं फाग
कितने क़ीमती हैं
स्पर्श-सुख रूप-रस रव-राग?
पेड़ो!
पतझड़ में उदास मत होना
जो गंध हवा की सवारी कर रही है
उसने जीवन की कथा कही,
फूल मुरझाते हैं
रंग नहीं।
— गोलेन्द्र पटेल
परिंदें गा रहे हैं फाग
कितने क़ीमती हैं
स्पर्श-सुख रूप-रस रव-राग?
पेड़ो!
पतझड़ में उदास मत होना
जो गंध हवा की सवारी कर रही है
उसने जीवन की कथा कही,
फूल मुरझाते हैं
रंग नहीं।
— गोलेन्द्र पटेल