कविता

कविता

बेफिक्र है तो मुर्दा है तू,

है फिक्र तो एहसास कर।

क्या हो रहा है जगत में,

इसका तू परवाह कर।

इस जन्म का कोई अर्थ है,

लिए जन्म जिंदगी सफल कर।

जप अपना-पराया छोड़ दे,

हर शोषितों का फिक्र कर।

किसके भरोसे सोए हो,

उठ खड़ा हो तुम जाग कर।

दुश्मन बड़ा ही चतुर है,

है राज कर रहा बांट कर।

जो भूखा है बेरोजगार है,

उनकी व्यथा पर गौर कर।

वो हो गया शिकार है,

है शोषक का राज विचार कर।

जाति-मजहब पर लड़ना छोड़ दे,

अब पूंँजीवाद है इससे रार कर।

खुद जाग और जगा सभी को,

जो शोषक है उससे हिसाब कर।

— अमरेंद्र 

अमरेन्द्र कुमार

पता:-पचरुखिया, फतुहा, पटना, बिहार मो. :-9263582278