सत्तू गर्मी दूर करने का श्रेष्ठ आहार
सत्तू चने,गेहूं,जौ के आटे से बनता है।यह शरीर को ठंडक पहुंचाने में भी मदद करता है। सत्तू दो प्रकार के होते हैं एक है चने का सत्तू और दूसरा है जो मिला सत्तू। दोनों को भून और पीसकर सत्तू बनाया जाता है। सत्तू शरबत को आप नमकीन या मीठा अपनी पसंद के हिसाब से बना सकते हैं।पहले के समय गाँवो में गेहूं की उम्बी को सेक कर और हरे चने को सेक कर रख लेते थे।इनको ओखली – मूसल में खांडा जाता था।चलनी से छान कर मिट्टी के मटके में भर कर गर्मी के दिनों के लिए,तीर्थ जाने पर,दूर गांव जाने पर आहार स्वरूप ले जाया जाता था।ये आहार शीघ्र तैयार हो जाता था।आज भी पवित्र नदियों के किनारे बसे मंदिरों के आसपास सत्तू की दुकान रहती है। बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक को सत्तू का आहार लेने में कोई परेशानी नहीं होती।इसकी तासीर ठंडी होती है।पचने में भी आसान होता है।इसके अलावा गर्मी दूर करने हेतु पैरों में मेहंदी लगाई जाती,केरी का पना ,नीबू का शरबत,छाछ,दही,और पानी मिलाकर दूध,पानी मे गुड़ घोलकर पिया जाता है।धूप में रहने पर लू लग जाती तो उसे भी उतारी जाती।लू उतारने के लिए पीतल की थाली,सूखी मैथी, सूखे बोर,पानी मे भीगा कपड़ा(गलना) के जरिए लू पीड़ित को जमीन पर लिटाकर पानी भरी थाली,गिला कपड़ा ऊपर से नीचे की ओर उतारा जाता था।जिसका मतलब उसके शरीर का तापमान कम करना था।पहले उपचार के घरेलु उपाय थे।अब लू लगे तो चिकित्सक को दिखाना और उपचार लेना श्रेष्ठ रहता है।
— संजय वर्मा “दॄष्टि”